हार्ट-अटैक में रेडियल-एंजियोप्लास्टी कारगर
फ्लैग -विशेषज्ञ : हार्ट अटैक के दौरान 90 मिनट का समय होता है बेहद अहम, दूर दराज के मरीज सुविधाओं से वंचित
जागरण संवाददाता, चंडीगढ़ : द हार्ट फाउडेशन की ओर से सेक्टर 35 में चल रही तीसरी नेशनल हार्ट फेल्यर समिट के दौरान हार्ट विशेषज्ञों ने कहा कि हार्ट अटैक के दौरान एंजियोप्लास्टी करने के लिए डॉक्टर्स रेडियल-एंजियोप्लास्टी की तरफ रुख करें। इसके नतीजे कारगर हैं। डॉक्टरों ने कहा कि इलाज की तकनीक तो आगे बढ़ रही है पर दूर-दराज के इलाकों में डॉक्टर्स और मरीज सुविधाओं से वंचित है। इनका 'फार्माको-इनवेसिव' अप्रोच से इलाज शुरू होना चाहिए। यानि अगर उन इलाकों में मरीज को हार्ट-अटैक आता है तो उन्हे क्लॉट बर्स्टर के तौर पर दवाएं दी जानी चाहिए, ताकि आर्टरी से उपचार शुरू करने के लिए वक्त मिल सके। उन्होंने बताया कि अटैक आने से 90 मिनट तक का वक्त सबसे महत्वपूर्ण होता है। इतने में अगर कलाई से आर्टरी का उपचार शुरू कर दिया जाए तो किसी भी तरह के मरीज की जान बचाई जा सकती है।
सोमवार को फोर्टिस के कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. एचके बाली ने पत्रकार वार्ता के दौरान बताया कि यूथ, महिलाओं, पोस्ट बायपास मरीज और 80 साल से ज्यादा उम्र के लोगों में हार्ट अटैक की संभावना बढ़ती जा रही है क्योंकि फिजिकल एक्सरसाइज का लोगों को वक्त नहीं, उनका खाना-पीना भी सही नहीं।
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कर चुके हैं 270 एंजियोप्लास्टी
एंजियोप्लास्टी बारे डॉ. बाली ने जानकारी दी कि 2011 से अब तक हमारी यूनिट 270 मरीजों में हार्ट अटैक के दौरान कलाई के जरिए एंजियोप्लास्टी (रेडियल-एंजियोप्लास्टी) कर चुकी है और परिणाम बेहतर है। जहा तक बात स्टट डालने की है, एक्सपर्ट्स ने माना है कि वेने¨शग स्टट्स बेहतर है।
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क्या है डोर टू नीडल और डोर टू बैलून टाइम
डॉ. बाली ने जानकारी दी कि अटैक होने से क्लॉट बर्स्ट करने तक के समय को डोर टू नीडल टाइम कहते है। यह कम से कम होना चाहिए और कोशिश यह रहनी चाहिए कि एक घटे से ज्यादा न हो। ऐसा वक्त पर हो जाए तो आर्टरी के उपचार करने की शुरुआत करने के लिए वक्त मिल जाता है। वहीं अटैक होने से आर्टरी के खुलने तक के समय को डोर टू बैलून टाइम कहते है। यह वक्त 90 मिनटों से ज्यादा नहीं होना चाहिए।
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हार्ट अटैक के लक्षण
-छाती के बीचो-बीच तेज दर्द उठना
- ऐसा लगना जैसे किसी हाथी ने अपना पैर आपकी छाती पर रख दिया हो।
-यह भारीपन धीरे-धीरे कंधों और फिर जबड़े के निचले हिस्से तक पहुचता है। अचानक ऐसा हो तो तुरत डॉक्टर से संपर्क करें।
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ऐसे बचें हार्ट अटैक से
-धूम्रपान न करे
-एक्सरसाइज को नियमित करें
-स्ट्रेस से खुद को दूर रखे
-डाइट बेहतर करे
-खाने में कोलेस्ट्रॉल कम लें
-अपने काम को प्लान करना
-फुरसत के पल निकालकर दोस्तों और परिवार के साथ वक्त बिताना।