मानसून सिर पर, नहरों की हालत खस्ता और प्रबंध पूरे नहीं
जासं, ब¨ठडा लंबे समय से मरम्मत के अभाव में नहरों की हालत खस्ता हो चुकी है। दूसरी तरफ मान
जासं, ब¨ठडा
लंबे समय से मरम्मत के अभाव में नहरों की हालत खस्ता हो चुकी है। दूसरी तरफ मानसून सिर पर है। फिर भी नहरी विभाग के पास आपदा से निपटने के लिए पूरे इंतजाम नहीं हैं। नहरी विभाग के पास मानसून में नहर टूटने की स्थिति से निपटने के लिए महज अढ़ाई हजार कट्टे ही हैं, जिनमें मिट्टी से भरकर टूटी नहर बांधने के उपयोग में लिया जाता है।
जिले में नहरों की लंबे समय से मरम्मत नहीं हो पा रही है। नहरों की मरम्मत के लिए बनाए 65 करोड़ रुपये के प्रोजेक्ट भी अधर में है। पिछले 10 महीनों में जिले में नहर टूटने की दो घटनाएं हो चुकी हैं। पिछले वर्ष 28-29 जुलाई 2016 की रात को बीड़ तालाब के पास सर¨हद नहर की मुख्य ब्रांच की पटरी में कटाव आ गया था। इसी वजह भी पुरानी लाइ¨नग होने की वजह से पटरी कमजोर होना रही। तीन सप्ताह पहले शहर के पास साई नगर में ब¨ठडा रजबाहा टूट चुका था। इससे साई नगर मोहल्ले में पानी भर गया था। मानसून से निपटने की तैयारियों संबंधी बैठक में डीसी ने नहरी विभाग को नहरों के वीक प्वाइंट चिन्हित करने और पर्याप्त संख्या में खाली कट्टे रखने के निर्देश दिए थे। नहरी विभाग के एक्सईएन उपकरण पाल ¨सह सरां ने बताया कि विभाग के पास अलग स्थानों पर करीब अढ़ाई हजार कट्टे उपलब्ध हैं। जरूरत पड़ने पर दुकानदारों से कट्टे ले लिए जाते हैं। एक्सईएन के अनुसार मानसून के दौरान नहरों की लगातार गश्त की जाएगी।
शहर के साथ छह किलोमीटर तक नहर, इसमें 12 वीक प्वाइंट
ब¨ठडा शहर के साथ बीड़ तालाब तक सर¨हद नहर का छह किलोमीटर पोर्शन डेंजर जोन है। नहर में एक दर्जन वीक प्वाइंट है। यहां मानसून में निगरानी करने की जरूरत पड़ती है। करीब 450 क्यूसेक पानी बहाव क्षमता की इस नहर को नए सिरे से पक्का करने को 40 करोड़ रुपये का प्रोजेक्ट बनाया गया था। तब नवंबर 2013 में इस प्रोजेक्ट का शिलान्यास तत्कालीन उप मुख्यमंत्री सुखबीर ¨सह बादल ने किया था, लेकिन बजट के अभाव में ये प्रोजेक्ट भी अटक गया। वहीं ब¨ठडा रजबाहा वर्ष 1982 में पक्का किया गया था। इसके बाद 35 वर्षो में मरम्मत नहीं हुई। नहरी विभाग ने वर्ष 2014 में इसकी मरम्मत के लिए 25 करोड़ रुपये का एस्टीमेट बनाकर भेजा था, जो स्वीकृति नहीं हुआ।