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चार महीने से कचरे की प्रोसेसिंग बंद, खुले में पड़ा है हजारों टन कचरा

संदीप सिंह धामू, बठिंडा। जिस सॉलिड वेस्ट ट्रीटमेंट प्लांट (कचरा निस्तारण प्लांट) को पंजाब और आसपास

By Edited By: Published: Sat, 01 Oct 2016 01:00 AM (IST)Updated: Sat, 01 Oct 2016 01:00 AM (IST)

संदीप सिंह धामू, बठिंडा।

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जिस सॉलिड वेस्ट ट्रीटमेंट प्लांट (कचरा निस्तारण प्लांट) को पंजाब और आसपास के राज्यों के लिए मॉडल के तौर पर पेश किया जाता रहा। वह पिछले चार महीने से बंद पड़ा है। एक तरफ वर्षगांठ के दृष्टिगत स्वच्छ भारत अभियान पर जोर दिया जा रहा है। वहीं प्लांट में कचरे की प्रोसेसिंग पिछले चार महीने से ठप पड़ी है। इससे हजारों टन कचरा खुले में ही पड़ा है। जो पर्यावरण को प्रदूषित कर रहा है। लोगों के विरोध के चलते कचरा निस्तारण प्लांट में प्रोसेसिंग बंद करवा दी गई है। इससे शहर से रोजाना निकलने वाले करीब 125 मीट्रिक टन कचरा वैज्ञानिक विधि से निस्तारण होने की बजाय खुले में पड़ा सड़ रहा है।

मानसा रोड स्थित नहर के पास नगर निगम ने 30 एकड़ जमीन को कचरा निस्तारण प्लांट लगाने के लिए मास्टर प्लान में शामिल किया था। इसके बाद कचरा प्रबंधन करने वाली कंपनी जेआइटीएफ लिमिटेड से नगर निगम ने कचरा निस्तारण प्लांट लगाने का एमओयू किया। कंपनी ने प्लांट लगाने के लिए पहले 20 एकड़ जमीन निगम से ली और फिर 10 एकड़ जमीन और ले ली। नवंबर 2014 में 28 करोड़ रुपये की लागत से स्थापित कचरा निस्तारण प्लांट शुरू किया। प्लांट तीन महीने ट्रायल में रहने के बाद जनवरी 2015 में पूर्ण तौर पर चालू हुआ।

प्लांट में कचरे की प्रोसेसिंग के दौरान आने वाली बदबू की वजह से आसपास की 10 कॉलोनियों के लोगों ने विरोध करना शुरू कर दिया। इस वर्ष फरवरी में लोगों ने कूड़ा डंप हटाओ संघर्ष समिति गठित कर प्लांट शहर से दूर शिफ्ट करने का विरोध शुरू कर दिया।

प्रशासन ने प्लांट की शिफ्टिंग पर ठोस आश्वासन नहीं दिया तो संघर्ष समिति ने जनवरी-फरवरी, 2017 में प्रस्तावित विधानसभा चुनाव में सत्ताधारी पार्टी का विरोध करने की घोषणा कर दी। विपक्षी पार्टियों ने भी इस मुद्दे पर लोगों को लुभाने के लिए संघर्ष समिति का समर्थन किया। मुद्दे को वोट की राजनीति बनता देख चार महीने पहले प्लांट में कचरे का निस्तारण बंद करवा दिया गया।

कूड़े के ढेरों पर कभी-कभी ही डाली जाती है मिट्टी

कचरा निस्तारण की प्रोसेसिंग बंद होने के बाद जेआइटीएफ शहर के 65 हजार घरों और शहर के 50 सेकेंडरी कचरा कलेक्शन प्वाइंट्स से कचरे की लिफ्टिंग कर प्लांट परिसर में ढेर लगा रही है। निगम ने जुलाई में कचरे पर मिट्टी डालने का प्रस्ताव पारित किया था। हकीकत में मिट्टी कभी कभार ही डाली जाती है। ज्यादातर समय कचरे के ढेर बगैर ढके खुले में ही पड़ रहते हैं। जेआइटीएफ के प्लांट मैनेजर नीतेश त्रिपाठी के अनुसार निगम और प्रशासन अनुमति दे तो कंपनी कचरे की प्रोसेसिंग शुरू कर देगी।


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