बसंत की धूम, गानों की धुनों पर खूब लड़ाए गए पेचे
-चाइना डोर से नाक व हाथ कटने की दो घटनाएं फोटो..4 से 8 और 12 जासं, ब¨ठडा महानगर में दिन की शु
-चाइना डोर से नाक व हाथ कटने की दो घटनाएं
फोटो..4 से 8 और 12
जासं, ब¨ठडा
महानगर में दिन की शुरूआत के साथ ही शहरवासियों ने गानों की धुनों के साथ पतंगों के पेचे लड़ाकर खूब आनंद लिया। सुबह से लेकर शाम तक बसंत की धूम देखते ही बनती थी। शहर में चाइना डोर ने अपना दुष्प्रभाव भी दिखाया। शाम तक दो लोग चाइना डोर से हाथ और नाक कटने से जख्मी हो गए। वहीं विद्यार्थियों ने ज्ञान की देवी सरस्वती का पूजन कर उनका बौद्धिक बल बढ़ाने की प्रार्थना भी की।
शुक्रवार सुबह ठंडी हवाएं चली। फिर भी लोगों का बसंत के प्रति उत्साह कम नहीं हुआ। युवा हो चाहे उम्रदराज, सभी सुबह ही पतंग और डोर की चरखी लेकर छत पर आ गए। फिर सिलसिला शुरू हुआ नीले आसमान में पतंगों को उड़ाने और पेचे लड़ाने का। आसमान में अठखेलियां करती किसी की पतंग कटी तो उसने थोड़ी देर तक मायूसी महसूस की और जिसने पेच लड़ाते हुए पतंग काटा उसने उत्साह दिखाया।
दोपहर में बसंत का मौसम ने भी खूब साथ दिया। खिली धूप के दौरान लोगों से लकदक छतों पर इस कदर रौनक थी, जैसा कि सारा शहर ही घर छोड़कर छतों पर बसंत का स्वागत करने आ गया हो। दिनभर छतों पर उंची आवाज में गीत बजते रहे। वहीं बच्चे कटे पतंग लूटने के लिए गलियों में मंडराते रहे।
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पतंगों के साथ गुब्बारे भी खूब बिके
बसंत के दिन एक तरफ पतंग की दुकानों पर ग्राहकों का जमावड़ा लगा रहा, जैसा दीवाली के दिन मिठाई और पटाखों की दुकान पर लगता है। लोगों ने खूब पतंग खरीदे। वहीं आसमान में उड़ने वाले गैस से भरे गुब्बारे भी बड़ी संख्या में उड़े। बाजार और मोहल्लों में सुबह ही गुब्बारे बेचने वाले आ गए। रंग बिरंगे गुब्बारों ने बच्चों को लुभाया।
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चाइना डोर का कहर, दो जख्मी
समाज सेवी संगठनों के जागरूकता अभियान के बावजूद लोग चाइना डोर से पतंग उड़ाने से बाज नहीं आए। इस डोर से दो लोग जख्मी हो गए। पहली घटना में मॉडल टाउन निवासी एसडी सैनी स्कूटर पर रामबाग रोड पर जा रहे थे। तब पतंग की एक चाइना डोर उनके नाक में अटक गई। इससे उनके नाक में गहरा जख्म हो गया। उन्हें पहले सिविल अस्पताल अस्पताल और फिर एक निजी अस्पताल ले जाया गया। नाक पर पांच टांके लगाने पड़े। इसी तरह परसराम नगर निवासी नौ वर्षीय लवप्रीत का हाथ चाइना डोर से कट गया। लंबा कट लगने से हाथ लहूलुहान हो गया। जख्म को सिलने के लिए छह टांके लगाने पड़ा।