फंड की कमी से जूझ रहे जनता के रक्षक
नितिन ¨सगला, ब¨ठडा गुरदासपुर के दीनानगर थाने पर हुए आतंकी हमले के बाद बेशक पंजाब पुलिस ने प्रदेश
नितिन ¨सगला, ब¨ठडा
गुरदासपुर के दीनानगर थाने पर हुए आतंकी हमले के बाद बेशक पंजाब पुलिस ने प्रदेश के सभी जिला पुलिस प्रमुखों को अपने-अपने थानों की सुरक्षा बढ़ाने के आदेश दे दिए हैं, लेकिन उक्त आदेश को पूरा करने में फंड व स्टाफ की कमी आड़े आ रही है। इसके बावजूद सभी थानों से खामियां दूर करने व मुख्य द्वार पर 24 घंटे सुरक्षाकर्मी तैनात करने के निर्देश दिए गए हैं। यह निर्देश आगामी 15 अगस्त तक सख्ती से लागू होने की बात की जा रही है।
ब¨ठडा जिले के कुछ थाने तो ऐसे हैं, जिनकी इमारतों की हालत काफी खराब है। अगर ब¨ठडा शहर के थानों की बात की जाए तो पांच थानों में से थाना कैंट और थाना थर्मल पूरी तरह से असुरक्षित हैं। जबकि बाकी थानों की इमारतें ठीक हैं, परंतु उक्त थाना स्टाफ और आधुनिक सुविधाओं से वंचित है। थानों में सीसीटीवी कैमरे की बात की जाए तो जिले के 20 थानों में से एक-दो थानों में ही सीसीटीवी कैमरे हैं। जोकि सालों से बंद पड़े हैं। कुछ साल पहले पंजाब पुलिस ने सभी थानों में सीसीटीवी कैमरे लगाने की योजना भी बनाई थी। विभाग द्वारा कैमरे खरीदने के लिए फंड न मिलने से उक्त योजना भी ठंडे बस्ते में चली गई है। हालांकि ब¨ठडा पुलिस के पास आधुनिक हथियार तो हैं, परंतु उन्हें चलाने वाले पुलिस कर्मियों की कमी है। कुल मिलाकर बात की जाए तो आम जनता की सुरक्षा करने वाले ब¨ठडा पुलिस असुरक्षित है।
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गेट के बिना ही चल रहा थाना कैंट
सैन्य छावनी में बना थाना कैंट पिछले कई सालों से बिना गेट के ही चल रहा है। थाना बनने से लेकर अब तक पचास से अधिक थाना प्रभारी बदल चुके हैं, परंतु किसी भी थाना प्रभारी ने थाने में गेट लगवाने की जहमत तक नहीं उठाई। सबसे मजेदार बात यह है कि उक्त थाना ब¨ठडा- बरनाला नेशनल हाईवे पर स्थित है। थाना का गेट न होने की वजह से कोई भी व्यक्ति किसी भी तरह की वारदात को अंजाम देकर फरार हो सकता है। कुछ माह पहले ही गैंगस्टर नरुआणा ने अपने साथियों समेत थाना कैंट के अंदर दाखिल होकर सरेआम थाने के सहायक मुंशी को गोली मारकर फरार हो गया था। जबकि एक हवालती भी पुलिस कर्मी को धक्का देकर थाना कैंट से फरार हो गया। दोनों घटनाओं होने का मुख्य कारण थाना का मेन गेट ना होना सामने आया था। इसके बावजूद पुलिस के उच्च अधिकारियों ने कोई ठोस कदम नहीं उठाए। वहीं थाना थर्मल की बात की जाए तो थाने के पीछे हिस्से में कोई चार दीवारी नहीं है। ऐसे में कोई भी शरारती तत्व घटना को अंजाम दे सकता है।
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हर थाने में है एक से दो एके 47
दरअसल, ब¨ठडा जिले में कुल बीस थाने और दस छोटी पुलिस चौकियां हैं। ब¨ठडा पुलिस विभाग द्वारा हर थाने में एक से दो पुलिस कर्मियों को एके-47 राइफल मुहैया करवाई गई है, जबकि ज्यादा तरह पुलिस कर्मियों को
एसएलआर (स्लेफ लो¨डग राइफल) व कर्बाइन दी गई। पुलिस के मुताबिक एसएलआर राइफल (स्लेफ लो¨डग राइफल) काफी आधुनिक है और एके-47 के बराबर ही काम करती है। वहीं, ज्यादा तरह कर्मियों के पास कर्बाइन भी है। वहीं, थानों के मुखियों के पास आधुनिक पिस्तौल है। सूत्रों की माने तो बीते सोमवार को गुरदासपुर आतंकी हमले के बाद पुलिस ने थानों के गेट पर तैनात होने वाले पुलिस कर्मियों को एसएलआर राइफल (स्लेफ लो¨डग राइफल) दे दी है, ताकि अगर कोई ऐसी घटना होती है तो वह भी मुकाबला कर सके। वहीं गुरदासपुर की घटना के बाद सभी थानों में सुरक्षा बढ़ा दी गई। वहीं थाने के गेट पर पक्के तौर पर एक होमगार्ड का जवान तैनात कर दिया गया।