स्वरोजगार की अलख जगा रहा है ग्रामीण स्वरोजगार शिक्षण संस्थान
संवाद सहयोगी, ब¨ठडा केंद्र सरकार के अधीन चल रहे ग्रामीण स्वरोजगार शिक्षण संस्थान द्वारा ग्रामीण आर
संवाद सहयोगी, ब¨ठडा
केंद्र सरकार के अधीन चल रहे ग्रामीण स्वरोजगार शिक्षण संस्थान द्वारा ग्रामीण आर्थिक सशक्तिकरण के लिए गांवों में रहते जरूरतमंद बेरोजगार लड़कियों, महिलाओं व युवाओं को आर्थिक रूप से स्वतंत्र बनाने के लिए उन्हें स्वरोजगार की अलग-अलग विधियों से मुफ्त में शिक्षित किया जा रहा है। वहीं स्टेट बैंक ऑफ पटियाला द्वारा सामाजिक जिम्मेदारी निभाते हुए ट्रे¨नग पूरी होने के बाद इन्हें स्वरोजगार पर आधारित अपना कारोबार खोलने के लिए सस्ती ब्याज दर पर लोन मुहैया करवाया जा रहा है व हरसंभव मदद दी जा रही है। यह बात रेडक्रॉस भवन में स्थित ग्रामीण स्वरोजगार शिक्षण संस्थान में कपड़ों की सिलाई की ट्रे¨नग ले रही लड़कियों को सिलाई मशीन वितरित करने पहुंचे स्टेट बैंक ऑफ पटियाला की ब¨ठडा जोन के उप महाप्रबंधक एल शेखर ने कही। इस अवसर पर बैंक के सहायक महाप्रबंधक एसएस हंस विशेष तौर पर उपस्थित थे। कार्यक्रम की अध्यक्ष्ता ग्रामीण स्वरोजगार शिक्षण संस्थान के डायरेक्टर जसबीर ¨सह ने की। इस मौके पर संस्थान के डायरेक्टर जसबीर ¨सह व ज्वाइंट डायरेक्टर एमएम बहल ने बताया कि संस्थान में अब तक प्रधानमंत्री रोजगार योजना के तहत 1340 बेरोजगारों को ब्यूटी पार्लर, कपड़ों की सिलाई, बुटीक, बैग सिलने, डेयरी फार्मिग, कंप्यूटर की तकनीकी शिक्षा जैसे अलग अलग रोजगार की विधियों की ट्रे¨नग दे कर उन्हें आत्मनिर्भर बनाया जा चुका है। उन्होने कहा कि गांव के हर गरीब के हाथों ऐसा हुनर पैदा किया जाए जो उन्हें इज्जत व मेहनत की रोटी आसानी से मुहैया करवा सके यही संस्थान का लक्ष्य है। इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए संस्थान के अधिकारी व कर्मचारी गांव गांव में जा कर गरीब बेरोजगार युवक युवतियों को संस्थान के रोजगार आधारित शिक्षण कार्यक्रमों में शामिल होने के लिए प्रेरित करते हैं। इस अवसर पर लीड जिला प्रबधंक राकेश मदान, कार्यालय सहायक अंकित गर्ग, किरणजीत कौर आदि उपस्थित थे।
महा प्रबंधक का भाषण नहीं समझ पाई महिलाएं
ग्रामीण स्वरोजगार शिक्षण संस्थान में स्वरोजगार की ट्रे¨नग ले रही ग्रामीण पृष्ठभूमि की बेरोजगार युवतियों व महिलाओं को स्टेट बैंक ऑफ पटियाला की ब¨ठडा जोन के महा प्रबंधक एल शेखर ने अंग्रेजी में संबोधित किया। जब उन महिलाओं व युवतियों से बात की गई तो उन्होंने कहा कि बैंक अधिकारी का संबोधन अंग्रेजी में होने के कारण उन्हें कुछ भी समझ में नहीं आया।