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पूर्ण गुरु के सानिध्य में ही जाना जा सकता है जीवन : साध्वी सतप्रेमा

संवाद सहयोगी, बठिंडा दिव्य ज्योति जागृति संस्थान द्वारा अजीत रोड पर स्थित आश्रम में सत्संग कार्यक

By Edited By: Published: Mon, 17 Nov 2014 02:21 AM (IST)Updated: Mon, 17 Nov 2014 02:21 AM (IST)

संवाद सहयोगी, बठिंडा

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दिव्य ज्योति जागृति संस्थान द्वारा अजीत रोड पर स्थित आश्रम में सत्संग कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस अवसर पर सर्व श्री आशुतोष महाराज की शिष्या साध्वी सतप्रेमा भारती जी ने कहा कि इंसान जीवन में संसार का कितना भी सामान एकत्रित कर ले, मृत्यु के बाद यहीं छोड़ जाता है। मनुष्य क्यों जीता है और किसके लिए जीता है? जीवन क्यों मिला है? कभी इसका उत्तर जानने की कोशिश नहीं की है। जिसे आज हम जीवन कहते हैं, वो जीवन नहीं एक यात्रा है। जीवन जो सदियों से चला आ रहा है और आगे भी चलेगा, लेकिन हम इस जीवन से अनभिज्ञ है। आज कुछ लोग कहते हैं कि संसारिक वस्तुओं का भोग ही जीवन है। बच्चों को पालना व गृहस्थी चलाना ही जीवन है। मगर, स्वामी विवेकानंद जी कहते हैं कि जीवन एक ऐसी सड़क है जिस पर चलकर इंसान अपने आप को जान लेता है, जीवन के अर्थ को समझ लेता है।

मूलशंकर जी ने स्वामी विरजानंद जी से यही प्रश्न किया था कि मैं कौन हूं? मुझे जीवन क्यों मिला है? इस पर विरजानंद जी ने कहा कि इंसान एक शरीर न होकर उस परमात्मा का अंश है और उस परमात्मा को जानने के लिए ही यह जीवन मिला है। तब मूलशंकर जी ने विरजानंद जी से ब्रह्मा ज्ञान हासिल कर अपने जीवन को जाना, जो बाद में स्वामी दयानंद सरस्वती बने।

साध्वी सतप्रेमा ने कहा कि हम भी पूर्ण गुरु के सानिध्य में जाकर अपने जीवन को जानने सहित परमात्मा को जान सकते हैं।


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