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भारतीय गाय है कामधेनु रत्न : साध्वी भारती

मनीश जिंदल, बठिंडा श्री गोशाला सिरकी बाजार बठिडा में पंाच दिवसीय श्री गोकथा के दूसरे दिन का शुभार

By Edited By: Published: Thu, 30 Oct 2014 02:17 AM (IST)Updated: Thu, 30 Oct 2014 02:17 AM (IST)
भारतीय गाय है कामधेनु रत्न : साध्वी भारती

मनीश जिंदल, बठिंडा

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श्री गोशाला सिरकी बाजार बठिडा में पंाच दिवसीय श्री गोकथा के दूसरे दिन का शुभारभ गोशाला के गीता भवन में समाजसेवी विनोद सोमाणी व भाजपा के वरिष्ठ नेता मोहन लाल गर्ग ने ज्योति प्रज्वलित करके किया। इस मौके पर श्री विनोद सोमाणी ने गोशाला को 1 लाख 1 हजार रुपये दान किए। श्री गोशाला के प्रधान जीवा राम गोयल, महासचिव साधू राम कुसला, कोषाध्यक्ष देव राज बासल ने मुख्य अतिथि को सम्मान चिन्ह भेंट किया।

इस दौरान गोकथा में नूर महल से विशेष तौर पर पधारी साध्वी सुश्री गरिमा भारती जी ने भारतीय गोमाता के जीवन पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि भारतीय गाय 13 रत्नों में से उत्पन्न हुई कामधेनु रत्न है। जैसे सूर्य हमें प्रकाश देकर जीवन में उजाला करता है। देवी तुलसी हमें रोग मुक्त रखती है। पीपल से 24 घटे ऑक्सीजन मिलती है। ये सभी गुण भारतीय गोमाता में विराजमान है। भारतीय गाय के पंच पदार्थ हर बीमारी से मुक्ति दिलाते है। मगर, आज के युग में भारतीय गाय की दुर्दशा के कारण सब कुछ गड़बड़ हो चुका है।

मनुष्य अपना आध्यात्मिक और सांसारिक व्यवहार खो चुका है। पुराने समय में घर व पाठशाला के बाहर भारतीय गाय के गोबर से लेप किया जाता था। इसके कारण विपरीत प्रभाव तथा हानिकारक कीटाणु घर के भीतर प्रवेश नहीं करते थे। उन्होंने बताया कि भारतीय गाय के गोबर से शरीर पर लेप करने से चर्म रोग नहीं होता है। जिन घरों में आज भी भारतीय गाय के गोबर से लेप किया जाता है, उस जगह रेडिएशन तरगों का नकारात्मक असर नहीं पड़ता है। गोमाता जिस जगह सांस लेती है, वो जगह पवित्र हो जाती है और उस जगह कोई भी रोग अपना प्रभाव नहीं छोड़ पाता है।

उन्होंने कहा कि पश्चिम सभ्यता के दुष्प्रभाव के कारण मानव गोवंश को घर से निकाल कर कुत्तों को जगह दे रहा है। पुराने समय में घर के दरवाजे पर 'अतिथि देवो भव:' कहा जाता था, लेकिन समय बदलने के साथ आज घर की घटी के साथ 'कुत्तों से सावधान' का बोर्ड लगा होता है।

भारतीय सभ्यता में पहले सुबह उठते ही माता-पिता को प्रणाम कर गोमाता के दर्शन के साथ दिन प्रारभ होता था। मगर, पश्चिमी विकृति के दुष्प्रभाव में जिस हाय को हम सुबह करते हैं, वही हाय हमारे जीवन में दुखों का कारण बनती है।

यदि भारत के युवा गोसेवा में जुटते है,तो उनकी सोच सकारात्मक होगी और यह देश की रक्षा, चरित्रवान, मा-बाप की सेवा करने में सहायक होगी। यदि भारतीय गोमाता दूध न भी दे, तो भी अपने गोबर व मूत्र से अपने ऊपर होने वाले खर्च को चलाने में सहायक है। कैलिफोर्निया में 90 हजार अपंग गायें जो दूध नहीं देती हैं, के गोबर व मूत्र से जैविक खाद बना कर विदेशी लाभ उठा रहें है। एक गाय के गोमूत्र से 46 हजार लीटर बायोगैस बन सकती है, जोकि 14 करोड़ वृक्षों को काट कर प्राप्त होती है। उन्होंने बताया कि एक गाय की रक्षा कर हम करोड़ों पेड़ बचा सकते है। आज भारत में गोरक्षक बनना मूलभूत जरूरत है। एक गोरक्षक आरोग्य पर्यावरण सरक्षक बन सकता है। यदि गाय नष्ट होती है, तो सृष्टि से मानव जीवन नष्ट हो जाएगा।

श्री गोशाला के प्रवक्ता संदीप ने बताया कि कार्यक्रम को सफल बनाने में नौजवान वेलफेयर सोसायटी, श्री हनुमान सेवा समिति, अखिल विश्व गायत्री परिवार बठिडा, हरी ऊँ शकर चरण पादुका सेवा दल, श्री गोशाला के कथा व्यवस्था प्रमुख राजीव गुप्ता, कृष्ण सिंगला, रमणीक वालिया, गणेश दत्त शर्मा, केवल कृष्ण बासल, सुदर्शन कुमार, नीरज लाली, पवन मित्तल, बबली शर्मा, नरेश कुमार, पंकज बासल व भवित मित्तल आदि का विशेष सहयोग रहा।


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