12 करोड़ के फूंके पटाखे
जागरण संवाददाता, बठिंडा पर्यावरण प्रेमियों व समाजसेवी संस्थाओं द्वारा वायु व ध्वनि प्रदूषण मुक्त द
जागरण संवाददाता, बठिंडा
पर्यावरण प्रेमियों व समाजसेवी संस्थाओं द्वारा वायु व ध्वनि प्रदूषण मुक्त दीपावली मनाने की अपील को अनसुना करते हुए शहर में लोगों ने न सिर्फ लगभग 12 करोड़ रुपये के पटाखे फूंककर अपनी खुशियां मनाई, बल्कि देर रात तक पटाखे चलाकर पूरे आसमान को धुएं से भी भर दिया। इस पर्व से रिश्तों में मिठास घोलने को मिठाई की खरीद भी लगभग 500 क्विंटल हुई, जोकि मिक्स एवं विभिन्न सामग्री के रूप में खरीदी गई। मेवा बाजार सहित ब्रांडेड बिस्कुट एवं गिफ्ट सामग्री के प्रति भी रुझान अच्छा रहा।
इस दौरान वीरवार को छोटे बच्चों से लेकर वयस्क तक सायं होते ही कान फोड़ू पटाखे चलाने में मशगूल हो गए, जिसके कारण चारों ओर धुएं सहित शोर सुनाई देने लगा। पटाखा विक्रेताओं के अनुसार शहर में लोगों ने धूम-धमाका पर एक ही रात में लगभग 12 करोड़ रुपये के पटाखे फूंके हैं। थोक व्यापारी राज कुमार के मुताबिक सबसे ज्यादा रंग-बिरंगी राकेट सहित 25 शाट्स वाले रंगदार पटाखे फोड़े गए। इसके अतिरिक्त ट्रिपल शाट, अनार बम, सूतली बम, सीटी फिरकी, मल्टीपल शाट, दस हजारी पटाखा, टाफी बम आदि का भी जमकर प्रयोग किया गया। राज कुमार के अनुसार आठ बड़े थोक व्यापारियों ने इस बार दीवाली के लिए डेढ़ से दो करोड़ तक का स्टॉक मंगवाया था। कुल मिलाकर त्योहार पर महंगाई का असर कहीं नहीं दिखा और पटाखे के आसमान छूते भाव के बावजूद जिला वासियों ने लगभग 12 करोड़ के पटाखे फोड़े।
सबसे दिलचस्प बात यह रही कि इस बार प्रदूषण मुक्त दीवाली मनाने के लिए पर्यावरण प्रेमियों व समाजसेवी लोगों ने अच्छी खासी मुहिम भी चलाई थी। कुछ शिक्षण संस्थाओं के विद्यार्थियों ने इस बारे में जागरूकता रैली निकालकर लोगों से दीवाली को वायु व ध्वनि प्रदूषण से मुक्त रखने की अपील की थी। इसके बावजूद मनाही वाले समय में भी धूम-धड़ाके के साथ पटाखे चले। शोर मुक्त जोन करार दिए गए अस्पतालों, शिक्षण संस्थाओं व धार्मिक स्थानों के सौ मीटर के घेरे में भी पटाखे आदि न चलाने की हिदायत को भी युवाओं ने धत्ता बताया। यहां तक कि कुछ निजी अस्पतालों के स्टॉफ ने अपने क्लीनिकों के पास ही पटाखों व आतिशबाजी का लुत्फ उठाया। देर रात तक लोगों द्वारा पटाखे चलाए जाने से आसमान काले धुएं से भर गया।
पटाखों के धुंए के कारण अस्थमा और श्वास संबंधी अन्य बीमारियों से ग्रसित लोगों एवं बुजुर्गो को डॉक्टरों का सहारा लेना पड़ा। युवाओं ने कई ऐसे पटाखे चलाए, जिसकी गूंज कई-कई कोस दूर तक सुनीं गई। इनमें डायनामाइट व सूतली बम से निकलने वाले धुएं व आवाज से बुजुर्गो को कमरों में ही रहना पड़ा।
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फूलों की महक घटी
इस बार गेंदे के फूलों की लड़ियों की सजावट एवं भीनी-भीनी खुशबू की कमी कुछ ज्यादा ही खली। इसकी वजह रही, बनावटी फूलों में बनी चाइनीज लड़ियां, जो 40 से 100 रुपये के बीच हर किसी की चहेती बनी। पंजाब फ्लावर डेकोरेटर के संचालक महेंद्र के अनुसार फूलों की बिक्री बेहद कम रही। हालांकि शहर में 40 स्टॉल लगे, पर घर-संस्थानों में फूलों से सजावट में दिलचस्पी नहीं दिखी। बुके की भी खरीद भी कोई खास नहीं हुई। पूजन आदि के लिए कमल फूल जरूर बिका।
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चीनी उत्पादों का 50 लाख का कारोबार
-इलेक्ट्रानिक व इलेक्ट्रिकल मार्केट में बड़ी तेजी से पकड़ बनाती जा रही चीनी लड़ियों की बिक्री का ग्राफ इस बार और ऊंचा हुआ। जनरल स्टोर ही नहीं, वैरायटी स्टोर सहित अलग से लगे दर्जनों स्टॉल में चीन निर्मित उत्पाद लगे। इस दौरान लगभग 50 लाख का कारोबार चीन निर्मित लड़ियों, सजावटी सामान एवं अन्य विभिन्न प्रकार के उत्पादों का हुआ।
चीन निर्मित उत्पाद का कारोबार करने वाले मोनू नामक दुकानदार ने बताया कि सभी सामान दिल्ली से लाए गए थे और यह बाजार में उम्मीद के मुताबिक बिका।
गौर हो कि कुछ संगठनों ने चीन निर्मित सामान का बहिष्कार करने का एलान किया था। इसके बावजूद लोगों ने जमकर उक्त सामान खरीदा है।
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दो करोड़ की बिकी मिठाई
शहर में लोग लगभग दो करोड़ रुपये की मिठाई चट कर गए। हालांकि, गत वर्ष की अपेक्षा इस वर्ष मिठाई की बिक्री कम हुई है। मिठाई विक्रेता सुरिंदर ने बताया कि लोगों में मिलावटी मिठाई का खौफ काफी देखा गया, इसके कारण लोगों का ज्यादा जोर मेवों की ओर था। हालांकि, सूखे मेवों में भी काफी तेजी रहने के कारण लोगों ने इसकी ज्यादा खरीदारी नहीं की। इसके बावजूद लोगों ने लगभग एक करोड़ से अधिक के सूखे मेवे खरीदे, ताकि लोगों को उपहार के तौर पर दे सकें। शहर में दीवाली के दिन लगभग 800 स्टॉल लगे थे, जहां पर 200 रुपये से कम की कोई मिठाई नहीं थी। विक्रेताओं के अनुसार लगभग 500 क्विंटल मिठाई की बिक्री हुई। शहर के मशहूर मिठाई विक्रेता आमंत्रण स्वीट्स के अनुसार उम्मीद के मुताबिक बिक्री तो नहीं हुई, लेकिन मिठाई का कारोबार ठीकठाक ही रहा।
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जुआ-शराब के भी चले दौर
दीवाली पर जुआ खेलने की मिथ्या परंपरा के चलते किस्मत आजमाने के शौकिनों ने जुआ खेलने की हसरत भी पूरी की और चंद मिनटों में ही लाखों लुटा बैठे। वहीं, पर्व के दिन वीरवार होने के बावजूद शराब के तलबगारों ने सूरज ढलने तक का इंतजार न करते हुए दोपहर में ही महफिलें सजा लीं।