कोयले को लेकर थर्मल प्लांटों में स्थिति और गंभीर
जागरण संवाददाता, बठिंडा : राज्य के तीनों थर्मल प्लांट में कोयला संकट और गहरा गया। शुक्रवार को पैनम कंपनी की आपूर्ति नहीं आने से बठिंडा थर्मल प्लांट में अब महज तीन दिन का ही कोयला बचा है। यही हाल लहरा थर्मल प्लांट का है। रोपड़ थर्मल प्लांट में ढाई दिन का स्टाकहै। इसे देखते हुए थर्मल प्लांट प्रबंधन के समक्ष अगले चौबीस घंटे का समय काफी गंभीर है।
थर्मल प्लांट के सूत्रों के अनुसार, शनिवार को भी पैनम की सप्लाई पहुंचने की संभावना नहीं के बराबर है। हालांकि, कोल इंडिया से तीन थर्मल प्लांटों को नियमित आपूर्ति मिलने से राहत मिल जा रही है। अगले चौबीस घंटे में एक-दो यूनिट बंद किए जा सकते हैं।
उधर, कोयला संकट से निबटने के लिए विगत दिवस मोहाली में पावरकॉम सेक्रेटरी के साथ बठिंडा, लहरा मोहब्बत व रोपड़ में स्थापित थर्मल प्लांटों के चीफ इंजीनियरों समेत वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठक हुई थी। इसमें इस संकट के अलावा पावरकाम इंजीनियर एसोसिएशन की मांगों पर भी विचार-विमर्श किया गया।
इस बीच पता चला कि पैनम की कोयला आपूर्ति में और कटौती हो गई, जिसकी वजह से स्थिति काफी गंभीर बन गई। दो दिनों से तीनों थर्मल प्लांटों में इसकी आपूर्ति पूरी तरह से ठप है। पावरकॉम के जनसंपर्क अधिकारी इंजीनियर गोपाल शर्मा कहते हैं कि आपूर्ति धीरे-धीरे हो रही है लेकिन स्टाक ज्यादा नहीं है। थर्मल प्लांट केचीफ इंजीनियर एसके पुरी स्वीकार करते हैं कि महज तीन दिन का ही कोयला शेष है। दूसरी तरफ, कोयला आपूर्ति सुचारू बनवाने के लिए तीनों थर्मल प्लांटो के तीन एक्सइएन को बीते दिनों झारखंड रवाना किया गया था, जिनके प्रयासों का अभी तक नतीजा अब तक शून्य रहा। गौर हो कि थर्मल प्लांट में कोयले का 15 दिन से कम स्टाक पर प्लांट अलार्मिग कैटेगरी और 10 दिन से कम पर क्रिटिकल कैटेगरी में आ जाता है।