सुखबीर की विशेष 'रणनीति' की बदौलत तलवंडी फतेह
श्रीधर राजू, बठिंडा : तलवंडी साबो उप चुनाव फतेह करने को शिरोमणि अकाली दल के प्रधान सुखबीर सिंह बादल की ओर से बनाई गई खास रणनीति पूरी तरह से सफल रही। सुखबीर बादल के मजबूत 'इलेक्शन मैनेजमेंट' से जहां अकाली प्रत्याशी रिकॉर्ड 46 हजार 642 मतों से विजयी हुए, वहीं लोकसभा चुनाव में अकाली प्रत्याशी हरसिमरत कौर बादल को तलवंडी हलके से मिले मार्जिन को भी बरकरार रखने में सफल रहे। हालांकि, इस जीत में अकाली प्रत्याशी जीत महिंदर सिंह सिद्धू का हलके में खुद का अक्स भी काम आया।
गौर हो कि विजयी हुए अकाली प्रत्याशी जीत महिंदर सिंह सिद्धू के इस्तीफा देने की वजह से ही इस सीट पर उप चुनाव हुआ। सिद्धू पहले कांग्रेस से विधायक बने थे, लेकिन उन्होंने इसी साल इस्तीफा देकर अकाली दल की सदस्यता ग्रहण कर ली थी। इसकी वजह से शिअद के लिए तलवंडी साबो उप चुनाव प्रतिष्ठा का सवाल बना हुआ था।
दरअसल, लोकसभा चुनाव संपन्न होने के तुरंत बाद शिअद प्रधान सुखबीर सिंह बादल ने तलवंडी उप चुनाव को लेकर एक खास रणनीति बनाकर काम शुरू कर दिया था। इसका जिक्र भी वे लगातार करते रहे कि तलवंडी को लेकर अकाली दल ने एक विशेष रणनीति बनाई है और तलवंडी साबो में अकाली दल की रिकॉर्ड जीत होगी। अंतत : तलवंडी में अकाली दल की रिकॉर्ड जीत भी हुई।
शिअद की रणनीति पर ही काम करते हुए मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल ने लोकसभा चुनाव के तुरंत बाद तलवंडी हलके से अपने संगत दर्शन की शुरुआत करते हुए चुनावी माहौल बनाना शुरू कर दिया। करीब 42 दिनों में 20 दिन तलवंडी हलके को समय देते हुए मुख्यमंत्री बादल ने लगभग सभी गांवों की समस्याएं सुनीं और मौके पर ही उसे दूर करने का निर्देश दिया। नतीजा विरोधी पार्टी कांग्रेस से विकास का भी मुद्दा छीनने में बादल सफल रहे। इस बीच रिफाइनरी से प्रभावित गांवों की समस्याओं को दूर करने के लिए मुख्यमंत्री के राजनीतिक सलाहकार केजेएस चीमा की ड्यूटी लगाई गई।
इतना ही नहीं शिअद प्रमुख सबसे पहले बठिंडा जिले से ही नशे के खिलाफ अभियान की शुरुआत कर लोगों में संदेश देने में सफल रहे कि पंजाब सरकार का रुख नशे को लेकर सख्त है। संगत दर्शन के दौरान मुख्यमंत्री ने भी लगातार नशे के खात्मे पर जोर दिया। नतीजा विपक्षी दलों के हाथ लगे एक प्रमुख चुनावी मुद्दे को उन्होंने लगभग समाप्त कर दिया। हालांकि, प्रदेश कांग्रेस प्रधान प्रताप सिंह बाजवा लगातार तलवंडी हलके के गांवों में अकाली दल को नशे के मुद्दे पर घेरने की कोशिश करते रहे, लेकिन मतदाताओं पर जादू नहीं चला।
कुल मिलाकर उप चुनाव का एलान होने के साथ ही कांग्रेस को मुद्दा विहीन करने में शिअद प्रधान सुखबीर सिंह बादल सफल हो गए। नतीजा, उम्मीद के विपरीत रिकॉर्ड मतों से अकाली प्रत्याशी की जीत हुई।
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मंत्रियों की फौज का भी मिला लाभ
बठिंडा। अकाली प्रत्याशी के नामांकन दाखिल करने के दूसरे दिन ही शिअद प्रधान सुखबीर सिंह बादल ने तलवंडी हलके में अकाली व भाजपा मंत्रियों के पूरे कुनबे को उतार दिया। नतीजा यह रहा कि हर बूथ पर अकाली प्रत्याशी अपने प्रतिद्वंद्वी से काफी बढ़त लेने में सफल रहे। शिअद प्रधान ने तलवंडी हलके में 11 मंत्रियों के अलावा मुख्य संसदीय सचिव और मालवा के अकाली विधायकों की भी ड्यूटी लगाई। ऐसे में मंत्रियों की खुद की साख भी दांव पर लगी हुई थी, यही कारण है कि चुनाव प्रचार के अंतिम समय तक हलके में सभी मंत्री डटे रहे और लोगों से बेहतर राफ्ता कायम करने में सफल रहे।
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