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यूनियन और व्यापारियों के बीच है तीन-पांच का आंकड़ा

जागरण संवाददाता, अमृतसर अटारी बॉर्डर ट्रक ऑपरेटर यूनियन की हड़ताल का कारण एक छोटा सा

By JagranEdited By: Published: Wed, 22 Feb 2017 09:26 PM (IST)Updated: Wed, 22 Feb 2017 09:26 PM (IST)
यूनियन और व्यापारियों के बीच है तीन-पांच का आंकड़ा

जागरण संवाददाता, अमृतसर

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अटारी बॉर्डर ट्रक ऑपरेटर यूनियन की हड़ताल का कारण एक छोटा सा आंकड़ा है। जिसे लेकर न तो व्यापारी समझौता करना चाहते हैं और न ही ट्रक ऑपरेटर झुकने को तैयार हैं। यह है तीन से लेकर पांच रुपये प्रति बैग का आंकड़ा। यूनियन के लोग अलग-अलग डेस्टीनेशन के लिए 15 से लेकर 32 रुपये प्रति नग (बैग) वसूल करते हैं।

लेकिन यूनियन की गाड़ी किराए पर लेकर व्यापारी आश्वस्त रहता है। जबकि बाहरी ट्रांसपोर्टर से ट्रक किराए पर लेकर व्यापारी को हमेशा चौकस रहने के साथ-साथ खुद इसमें संलिप्त रहना पड़ता है। पाक के साथ आइसीपी अटारी से व्यापार करने वाले कुछ इंपोर्टर और एक्सपोर्टर इस बात से सहमत हैं जबकि कुछ कारोबारी पूरी तरह से इसके खिलाफ हैं।

क्या है लिमिट

देश के विभिन्न पोर्टो से माल उठवाने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने 2/3 साल पहले एक रूलिंग दी थी। जिसमें कहा था कि पोर्ट से माल लेकर चलने वाले दस टायरों वाले ट्रक पर 300 से ज्यादा बैग जबकि 12 टायरों वाले ट्राले पर 400 से ज्यादा बैग नहीं डाले जाएंगे। इसी तरह 14 टायरों वाले ट्राले पर 500 और 16 टायरों वाले ट्राले पर 600 से ज्यादा बैग नहीं लादे जा सकते।

सीमेंट के प्रति बैग रेट जबकि अन्य का प्रति क्विंटल यूनियन / बाहरी ट्रांसपोर्टर

अमृतसर ब्यास जालंधर लुधियाना चंडीगढ़

सीमेंट 15/,10 18/12 20/14 25/18 32/ 25

जिप्सम, छुव्वारे और ड्राई फ्रूट 0.80 रुपये प्रति क्विंटल से लेकर 1.35 रुपए प्रति क्विंटल दिल्ली तक।

कस्टम को हुआ 90 लाख का नुकसान

भारत-पाक के बीच होने वाले कारोबार पर भारत आने वाले या पाक भेजे जाने वाले सामान पर कस्टम टैक्स लगाया जाता है। जो अलग-अलग आइटमों पर कुल कीमत का 5 फीसदी से लेकर 20 फीसदी तक रहता है। आईसीपी पर दो दिनों की हड़ताल का जायजा लिया जाए तो इसमें कस्टम विभाग को करीब 90 लाख रुपए का नुकसान हुआ है।

आइसीपी अटारी पर हुआ 500 करोड़ का नुकसान

फेडरेशन ऑफ ड्राई फ्रूट एंड करियाना मर्चेट एसोसिएशन के प्रधान अनिल मेहरा ने बताया कि तीन दिनों की हड़ताल में कारोबारियों का करीब 500 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। इसमें वह नुकसान भी शामिल है जो व्यापारियों द्वारा डैमरेज व अन्य जुर्माने के रूप में दिया जाना है।

मंदे में लेते हैं कम दाम

इंपोटर्स को पूरा साल एक ही रेट पर माल उठा कर सुरक्षित निर्धारित स्थान पर पहुंचाते हैं। जबकि मार्केट के ट्रांसपोर्टर मंदे में तो कम रेट पर माल उठाने को तैयार हो जाते हैं और तेजी के दौर में रेट बढ़ा देते हैं। यही कारण है कि व्यापारी मंदे वाले दिनों में बाहरी ट्रांसपोर्टर के रेट लागू करने के लिए दबाव बनाते हैं।

सुबेग सिंह रणिके, प्रधान अटारी बार्डर ट्रक आपरेटर एसोसिएशन, अटारी।

दाम रखें नियंत्रित

बॉर्डर पर ट्रक यूनियन होने से कोई ऐतराज नहीं। ऐतराज है तो उनके द्वारा व्यापारियों से चार्ज किए जाने वाले रेटों से। अगर यूनियन व्यापारियों को रेट कम रखे तो ज्यादातर व्यापारी यूनियन के ट्रकों की सेवाएं ही लेना चाहेंगे।

एमपीएस चट्ठा, अध्यक्ष अमृतसर सीमेंट एसोसिएशन, अमृतसर।

अंतर नहीं होगा बर्दाश्त

आईसीपी अटारी पर लोकल ट्रक आपरेटरों की गुंडागर्दी बर्दाश्त नहीं होगी। एक बैग या एक क्विंटल पर कुछ पैसे ज्यादा होने पर ज्यादा अंतर नहीं पड़ता मगर यह यह आंकड़ा टनों में पहुंच जाता है तो व्यापारी को इसके लिए बड़ी राशि चुकानी पड़ती है। जिसका सीधा असर उपभोक्ता पर पड़ता है, इसे वे कभी भी स्वीकार नहीं करेंगे।

अनिल मेहरा, अध्यक्ष फेडरेशन ऑफ ड्राई फ्रूट एंड करियाना मर्चेट एसोसिएशन।


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