कद पौने चार फुट, सोच हिमालय से ऊंची
रमेश शुक्ला सफर, अमृतसर। पौने चार फुट के नारायण दास 12वीं पास हैं, लेकिन मजहब के नाम पर देश में खून बहाने वाले लोग उनसे सीख ले सकतें हैं। नारायण दास का कद चाहे छोटा है, लेकिन उनकी सोच हिमालय से भी कहीं ऊंची है। उन्होंने एक साथ ही मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारा के साथ-साथ चर्च का निर्माण करवाकर सभी धर्मो से जुड़े लोगों को प्रेम से रहने का जहां संदेश दिया, वहीं मजहब के नाम पर राजनीति करने वालों को भी आइना दिखा दिया। दो दिन पहले अहमदाबाद के जमका वार्डेन निवासी नारायण दास श्री गुरु ग्रंथ साहिब के लिए अमृतसर पालकी साहिब खरीदने आए थे। सोमवार को घर लौटते समय दैनिक जागरण ने उनसे खास बातचीत की। नारायण दास ने मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारा व चर्च बनाने के लिए सभी धर्मो से जुड़े लोगों से मदद भी ली। उनकी सोच यही है कि कोई भी धार्मिक स्थल किसी एक वर्ग, संप्रदाय का नहीं होता। ऊपर वाला एक ही है, लेकिन दुनिया में उसे अलग-अलग रूप में पूजा जाता है। नारायण बताते हैं कि वे चार भाई और चार बहनें हैं। बाकी सभी भाई बहनों का कद सामान्य है, लेकिन उन्हीं का कद छोटा है। बारहवीं तक पढ़ाई की। पढ़ाई के दौरान दोस्त जब उन्हें छोटे कद होने के चलते चिढ़ाते तभी ठान लिया था कि किसी दिन वह ऐसे मुकाम हासिल करेंगे, जहां यही छोटा कद उन्हें ऊंचा मुकाम दिलाएगा। छोटे कद की वजह से वह जल्द ही अपने शहर में जाना-पहचाना चेहरा बन गए। यही वजह थी कि 15 साल की उम्र से ही राजनीतिक पार्टियां के नेता चुनाव के दौरान उन्हें अपने साथ चुनाव प्रचार के लिए ले जाने लगे। वह बताते हैं कि खुशी इस बात कि है अब तक वह मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर लालकृष्ण आडवाणी के लिए चुनाव प्रचार किया। वहीं प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी, डा. मनमोहन सिंह, सोनिया गांधी जैसी बड़ी हस्तियों की रैली में पहली कतार में बैठने का मौका पाया, रैली के लिए प्रचार भी किया। आखिर में नारायण दास कहते हैं कि मैं तो भगवान का दास हो गया हूं। मुझे किसी राजनीति से नहीं लेना-देना।
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