चूहे 'चट' कर गए हर्बल प्लांट्स
अशोक नीर, अमृतसर
पूर्व सेहत मंत्री प्रो. लक्ष्मीकांता चावला की योजना के तहत गोल बाग में 14 मार्च, 2010 को हर्बल गार्डन का उद्घाटन किया गया। दो साल में इस गार्डन में एक करोड़ रुपये से लगाए गए अधिकतर 'प्लांट्स' को चूहे अपना भोजन बना चुके हैं, जो बचे हैं वह सूख जाने के कारण अंतिम सांसें ले रहे हैं। गार्डन में लगे अमलतास, ब्रह्मी, कचनार, आंवला, वासा, थरूर व एलोवीरा के पौधे लगाए गए थे। जिन प्लांटों से औषधि बनकर आम आदमी ने तंदरुस्त होना था, उन्हीं प्लांट्स को चट कर चूहे 'शेर' बन गए हैं। बाग में चूहों के करीब 100 से अधिक बिल हैं। बाग में सैर करने के लिए आने वाले लोग इन बिलों के आसपास दाना डालते हैं। सिर्फ चूहे नहीं पौधों के खत्म होने के कई और कारण भी हैं। पौधों को पानी देने के लिए पांच लाख रुपये की लागत से ट्यूबवेल लगाया गया था, पूरे बाग के पौधों के लिए इस ट्यूबवेल का पानी पर्याप्त नहीं था। पौधों की देखभाल के लिए माली भी केवल एक रखा गया। अब गार्डन में कोई भी आयुर्वेदिक पौधा नहीं बचा है।
नगर निगम अधिकारियों द्वारा हर्बल गार्डन की संभाल न करना चिंतनीय है। गार्डन की मेंटेनेंस के लिए निजी कंपनी से समझौता कर लेना अच्छा होता। पौधे जब सूखने लगे थे तभी इसकी जानकारी नगर निगम को दे दी गई थी। इस संदर्भ में निगम आयुक्त व मेयर को पत्र भी भेजे थे। कोई सुनवाई नहीं हुई। इस कारण यह पौधे सूख गए हैं।
प्रो. लक्ष्मीकांता चावला, पूर्व मंत्री।
मुझे पता है कि हर्बल गार्डन सूख चुका है। गार्डन को पुनर्जीवित करने के प्रयास किए जाएंगे। प्रदूषण की समस्या के मद्देनजर प्रदेशभर में हर्बल प्लांट्स लगने थे। मोहाली के दयालपुर सोढिया में भी हर्बल गार्डन की स्थापना की गई थी। नगर निगम अधिकारियों ने निगम के अंतर्गत आने वाले सभी पार्को में हर्बल प्लांट लगाने के दावे किए थे, लेकिन यह दावे कागजी सिद्ध हुए।
धर्मपाल गुप्ता, कमिश्नर नगर निगम।
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