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दत्तक पुत्र ने निभाया खून का रिश्ता

नितिन धीमान, अमृतसर यह कहानी एक ऐसे पुत्र की है जिसको जन्म देने वाले मां-बाप बचपन में ही गुजर गए,

By JagranEdited By: Published: Wed, 29 Mar 2017 01:10 AM (IST)Updated: Wed, 29 Mar 2017 01:10 AM (IST)
दत्तक पुत्र ने निभाया खून का रिश्ता

नितिन धीमान, अमृतसर

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यह कहानी एक ऐसे पुत्र की है जिसको जन्म देने वाले मां-बाप बचपन में ही गुजर गए, लेकिन जिस शख्स ने पिता बनकर उसे पाला, आज वह भी मौत के मुहाने पर खड़ा है। होशियारपुर निवासी कारोबारी मदन जब 6 वर्ष के थे, उनके सिर से मां-बाप का साया छिन गया। बचपन में अनाथ हुए मदन को होशियारपुर की न्यू आबादी में रहने वाले गुरदित्त सिंह ने अपनी 'गोद' का दुलार दिया। गुरदित्त की पत्‍‌नी सुष्मा ने उसे अपने आंचल में समेट लिया। समय का पहिया घूमता रहा। गुरदित्त ने मदन को पढ़ा लिखा कर कारोबारी बना दिया, लेकिन 65 वर्ष की उम्र में गुरदित्त की दोनों किडनियां जवाब दे गई। जिंदगी के आखिरी पड़ाव में असाध्य रोग से पीड़ित गुरदित्त ने जीने की आस छोड़ दी। पारिवारिक जन सप्ताह में दो बाद उनका डायलिसिस करवाते, पर पिता को तिल-तिल जीते देख मदन परेशान था। एक दिन उसने पिता से कहा कि वह अपनी किडनी देकर उनकी जिंदगी बचा लेगा। दत्तक पुत्र (गोद लिया बेटा) की यह बात सुनकर गुरदित्त ने उसे लाख समझाया कि बेटा मैंने जिंदगी जी ली है। मुझे अब कुछ नहीं चाहिए, लेकिन मदन अपनी बात पर अड़ा रहा।

मंगलवार को अमृतसर स्थित गुरुनानक देव अस्पताल में किडनी ट्रांसप्लांट ऑथोराइजेशन कमेटी के सम्मुख प्रस्तुत हुए मदन ने यह कहानी सुनाई तो कमेटी के सदस्य भावुक हो गए। मदन ने कहा कि मेरा इनसे खून का रिश्ता नहीं, लेकिन अगर ये न होते तो आज मैं न जाने किस हालात में होता। मदन ने बताया कि मेरे वास्तविक पिता और गुरदित्त सिंह गहरे मित्र थे। पिता की मोत के बाद गुरदित्त ने मुझे गोद लिया और परवरिश की। मदन की इन दलीलों को सुनने के बाद किडनी ट्रांसप्लांट ऑथोराइजेशन कमेटी के सदस्यों ने बिना देरी किए इस केस को स्वीकृति प्रदान कर दी। इस पुत्र ने पिता की टूटती सांसों को थामकर मां के दूध का कर्ज भी चुका दिया है।

भाइयों को बचाएंगी बहनें

भाइयों की सूनी कलाई पर राखी बांधकर रक्षा का वचन लेने वाली दो बहनों ने भी उनकी जिंदगी बचाने की ठानी है। होशियारपुर के लहली कलां निवासी जगजीत कुमार भी किडनी कमेटी के समक्ष पेश हुए। उनकी बहन संदीप कौर ने भाई को बचाने की गुहार लगाई। कमेटी के चेयरमैन डॉ. रामस्वरूप शर्मा से उससे उसकी पारिवारिक जिंदगी के बारे में पूछा तो उसने बताया कि वह तीन बच्चों की मां है। डॉ. शर्मा ने उसे किडनी देने के बाद होने वाली शारीरिक समस्याओं के विषय में जानकारी दी, पर वह अपनी बात पर अड़ी रही। संदीप के पति मोहन लाल ने भी सहर्ष स्वीकृति प्रदान की। दूसरी तरफ सोनू कुमार निवासी गोपाल नगर अमृतसर की बहन रजिया भाटिया ने भी ऐसे ही शब्द कहकर अपनी किडनी देने की बात की। कमेटी ने कागजी औपचारिकता पूरी करने के बाद इन दोनों केसों को स्वीकृति दे दी।

पिता और मां ने दीं किडनियां

सुल्तानपुर लोदी कपूरथला निवासी गुरचरण कौर अपने 24 वर्षीय बेटे रविंदर के साथ कमेटी के समक्ष प्रस्तुत हुए। गुरचरण ने बताया कि बेटा क्रिकेट का खिलाड़ी है। खेलते-खेलते उसका ब्लड प्रेशर बढ़ जाता था। जांच करवाने पर पता चला कि दोनों किडनियां निष्क्रिय हैं। इसी तरह लवलीन गिल निवासी श्री रामतीर्थ रोड अमृतसर ने अपने पुत्र राकेश कुमार को किडनी देने की पेशकश रखी। कमेटी ने इन दोनों केसों को भी स्वीकृति प्रदान की है।


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