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विद्यार्थियों को सुनाई शहीदों की दास्तां

जागरण संवाददाता, अमृतसर : शनिवार सुबह स्थानीय डीएवी पब्लिक स्कूल में इतिहासकार एवं शोधकर्ता सुरेंद्र

By Edited By: Published: Sat, 01 Aug 2015 06:55 PM (IST)Updated: Sat, 01 Aug 2015 06:55 PM (IST)
विद्यार्थियों को सुनाई शहीदों की दास्तां

जागरण संवाददाता, अमृतसर : शनिवार सुबह स्थानीय डीएवी पब्लिक स्कूल में इतिहासकार एवं शोधकर्ता सुरेंद्र कोछड़ ने अजनाला नरसंहार के 158वें वार्षिक दिवस पर नरसंहार के संबंध में छात्रों को जानकारी दी।

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कोछड़ ने बताया कि लाहौर की मिया मीर छावनी में नियुक्त बंगाल नेटिव इन्फैंट्री की 26 रैजीमेंट के हिंदूस्तानी सिपाही 30 जुलाई 1857 को ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के विरुद्ध बगावत करके वहा से भाग निकले। सिपाहियों का यह दल 31 जुलाई की सुबह दरिया रावी के किनारे गाव डड्डीया में पहुंचा। मौके पर पहुंचकर तहसीलदार के सिपाहियों ने सिपाहियों पर गोलिया दागनी शुरू कर दीं। इससे 150 के करीब सिपाही बुरी तरह से ज़ख्मी होकर दरिया रावी के तेज बहाव में बह गए और 50 के करीब ने गोलियों से बचने के लिए दरिया में छलांग लगा दीं। अमृतसर का डिप्टी कमिश्नर फ्रेडरिक हेनरी कूपर ने से जिंदा पकड़े गए 282 सिपाहियों को अजनाला ले आया। एक अगस्त को उनमें से 237 सिपाहियों को 10-10 कर थाने के सामने मौजूद कैंपिंग ग्राउंड में गोलियों से भून दिया। मारे गए सैनिकों के साथ ही 45 बेहोशी की हालत में सिसक रहे सिपाहियों को वहा पास में मौजूद पानी रहित विशाल कुएं में फेंक कर मिट्टी से भर दिया गया।

कोछड़ ने बताया कि उन्होंने स्वयं गुरुद्वारा कमेटी तथा अजनाला के लोगों के सहयोग से कुएं में दफन 282 हिंदुस्तानी सैनिकों के कंकालों को 28 फरवरी से 2 मार्च 2014 तक कुएं की पौने चौदह फुट तक खुदाई कर सम्मान सहित निकाल लिया। इस अवसर पर भाजपा नेता राजा जोशी, अनीता सरीन, मैडम शमा तथा गुरबिंद्र सिंह भट्टी भी उपस्थित थे।


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