कैप्टन बड़ी भूमिका निभाएंगे
अशोक नीर, अमृतसर पूर्व मुख्यमंत्री व सांसद कैप्टन अमरिंदर सिंह की ललकार रैली में जुड़ी भीड़ ने विरोध
अशोक नीर, अमृतसर
पूर्व मुख्यमंत्री व सांसद कैप्टन अमरिंदर सिंह की ललकार रैली में जुड़ी भीड़ ने विरोधियों के पांवों के नीचे से राजनीतिक जमीन खिसका दी है। कैप्टन सांसद निर्वाचित होने के बाद अमृतसर के साथ वे घनिष्ठ संबंध नहीं बना सके, जिसकी एक सांसद के रूप में दरकार थी। बावजूद कैप्टन ने ललकार रैली के लिए अमृतसर का चुनाव कर पूरे पंजाब में बिखरी हुई कांग्रेस पार्टी को एक प्लेटफॉर्म उपलब्ध करवाया। प्लेटफॉर्म पर कांग्रेस पार्टी के जितने भी दिग्गज नेता बोले, उन्होंने कैप्टन अमरिंदर सिंह को 2017 के विधानसभा चुनाव का मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित करने में कोई भी राजनीतिक संकोच नहीं किया। कैप्टन ने रैली में भारी मात्रा में भीड़ जमा करके अपनी पार्टी के भीतर राजनीतिक विरोधियों को यह संकेत दे दिए हैं कि पंजाब में वह अब भी कांग्रेस पार्टी की ताकत हैं।
अमृतसर संसदीय चुनाव में कैप्टन के समर्थन में जुटने वाले ओमप्रकाश सोनी, डॉ. राजकुमार, जुगल किशोर शर्मा, सुनील दत्ती, दिनेश बस्सी, कर्मजीत सिंह रिंटू, जोगिंदर पाल ढींगरा ने इस रैली को सफल बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। सांसद होने के नाते 2017 के चुनाव मैदान में उतरने के लिए राजनीतिक शतरंज में बिसात बिछा रहे कांग्रेसियों को लगता है कि आगामी विधानसभा चुनाव उनके नेतृत्व में लड़ा जाएगा। टिकटें देने में कैप्टन एक बड़ी भूमिका निभाएंगे। इसलिए सभी कांग्रेसियों ने इस रैली में कैप्टन का भरपूर साथ दिया।
कांग्रेस के राजनीतिक संस्कृति के अनुसार पिछले संसदीय चुनाव में कैप्टन की जीत के बाद प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष प्रताप सिंह बाजवा की लोकप्रियता कम हो गई है। बाजवा गुरदासपुर से संसदीय चुनाव हार चुके हैं। कैप्टन ने राजनीति की बिसात में कई चालें चलते हुए बाजवा को एक अध्यक्ष के नाते सफल होने में कई विरोध खड़े किए हैं। जिसमें वह सफल भी रहे हैं। कैप्टन व बाजवा के बीच के घमासान ने प्रदेश की कांग्रेस लीडरशिप में स्पष्ट विभाजन खड़ा कर दिया है। रैली में 35 विधायकों व कई पूर्व विधायकों के साथ-साथ मंत्रियों का मंच पर आसीन होना इस बात का संकेत है कि प्रदेश की कांग्रेस लीडरशिप कैप्टन पर भरोसा कर रही है।
बाजवा अध्यक्ष पद के नाते कांग्रेस की एक बड़ी लीडरशिप पर अपना विश्वास बनाने में सफल रहे हैं। विधायकों के साथ संवादहीनता व कैप्टन के साथ टकराव बाजवा के लिए एक गंभीर चुनौती पैदा कर रहा है। इस रैली में राजिंदर कौर भट्ठल, ब्रह्म महेंद्रा व यूथ कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजा वडिंग जैसे दिग्गज नेता नहीं पहुंचे। इससे बाजवा को कुछ राहत मिली होगी।
शहरी क्षेत्र में हुई रैली ने साबित कर दिया है कि कैप्टन अमरिंदर सिंह पंजाब की राजनीति में अभी भी अपना राजनीतिक आधार रखते हैं। भाजपा अपने राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह की रैली अब कब व कहां करवाती है। यह समय तय करेगा, लेकिन यह स्पष्ट है कि भाजपा के लिए अब कैप्टन की ललकार रैली से अधिक भीड़ जुटाना एक बड़ी चुनौती होगी।