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महंगे इंजेक्शन की चुभन कब तक?

नितिन धीमान, अमृतसर आखिर कब तक मरीजों को महंगे इंजेक्शन की चुभन सहनी पड़ेगी। हैपेटाइटिस-बी व सी के

By Edited By: Published: Sun, 23 Nov 2014 02:04 AM (IST)Updated: Sun, 23 Nov 2014 02:04 AM (IST)
महंगे इंजेक्शन की चुभन कब तक?

नितिन धीमान, अमृतसर

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आखिर कब तक मरीजों को महंगे इंजेक्शन की चुभन सहनी पड़ेगी। हैपेटाइटिस-बी व सी के इंजेक्शन लगवाने के लिए उन्हें अभी भी निजी मेडिकल स्टोरों का सहारा लेना पड़ता है। सरकारी अधिकारियों की लापरवाही के चलते ये इंजेक्शन सरकारी दवा केंद्रों तक नहीं पहुंच पा रहे।

हैपेटाइटिस बी व सी यानी काला पीलिया। इस रोग के निदान से संबंधित एक इंजेक्शन लगभग 10000 रुपये में निजी मेडिकल स्टोरों पर उपलब्ध है। मरीजों को आर्थिक परेशानी से बचाने के लिए पंजाब हेल्थ सिस्टम कॉरपोरेशन (पीएचएससी) ने सरकारी अस्पतालों में उपरोक्त इंजेक्शन का स्टॉक उपलब्ध करवाने की योजना तैयार की। दो माह पूर्व विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों की उपस्थिति में यह प्रक्रिया पूरी हुई। अंतत: एक निजी कंपनी से इंजेक्शन खरीदने पर सहमति बनी। यह सारा कार्य तीव्र गति से जारी था, लेकिन इसी बीच एक अधिकारी ने बखेड़ा खड़ा कर दिया। उनका कहना था कि विभाग के अधिकारियों ने उन्हें इस बाबत कोई जानकारी नहीं दी। वरिष्ठ अधिकारी का तर्क था इन इंजेक्शनों का रेट कान्ट्रेक्ट उनकी उपस्थिति में होना चाहिए। बस फिर क्या था, अधिकारी के सख्त तेवर देखकर सभी ठंडे पड़ गए और सारी योजना धरी की धरी रह गई।

खैर, अधिकारी की मंशा चाहे जो भी हो, पर इसका दुष्परिणाम यह निकला है कि मरीजों को महंगे इंजेक्शन की चुभन सहनी पड़ रही है। पिछले दो महीनों से सरकारी अस्पतालों के दवाखानों का स्टाफ और मरीज इस इंजेक्शन का इंतजार कर रहे हैं। जलियांवाला बाग मेमोरियल सिविल अस्पताल में हर माह औसतन दस से पंद्रह मरीज इस इंजेक्शन की तलाश में आते हैं और खाली हाथ लौट जाते हैं।

वास्तविकता यह है कि यदि सरकारी अस्पतालों में हैपेटाइटिस-बी व सी के इंजेक्शन पहुंच जाते तो यह बहुत कम मूल्य पर मरीजों को मिलते। निजी मेडिकल स्टोरों में ये इंजेक्शन 10000 रुपये तक उपलब्ध हैं, जबकि सरकारी रेट कान्ट्रेक्ट के मुताबिक इनका मूल्य महज 4550 रुपये होता।

सिविल सर्जन डॉ. राजीव भल्ला का कहना है कि हैपेटाइटिस-बी व सी के इंजेक्शन सरकारी अस्पतालों में जल्द उपलब्ध होंगे। सारी प्रक्रिया पूरी हो चुकी है। वह विभाग से लगातार संपर्क में हैं।


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