शेर-ए-पंजाब से धोखा
अशोक नीर, अमृतसर पाकिस्तान का पर्यटन विभाग शेर-ए-पंजाब महाराजा रणजीत सिंह के स्थान पर अफगानी सरदार
अशोक नीर, अमृतसर
पाकिस्तान का पर्यटन विभाग शेर-ए-पंजाब महाराजा रणजीत सिंह के स्थान पर अफगानी सरदार अमीर शाह अली खां की तस्वीर पर श्रद्धासुमन भेंट करवाकर पंजाबियों के साथ विश्वासघात कर रहा है। एसजीपीसी के तत्वावधान से जून माह में पाकिस्तान जाने वाला जत्था भी महाराजा रणजीत सिंह की समाधि पर अफगानी सरदार को शेर-ए-पंजाब समझ कर श्रद्धांजलि भेंट करता आ रहा है। कई लोगों ने तो अफगानी सरदार को शेर-ए-पंजाब समझ तस्वीर घर में भी लगा रखी है। यह खुलासा किया है इतिहासकार सुरिंदर कोछड़ ने। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान में महाराजा रणजीत सिंह से धोखा किया जा रहा है।
कोछड़ ने कहा कि पाकिस्तान का पर्यटन विभाग दावा करता है कि समाधि पर लगी तस्वीर में पीछे महान जरनैल हरी सिंह नलवा व फकीर अजीजुद्दीन खड़े हैं। कुर्सियों पर महाराजा रणजीत सिंह, गवर्नर जनरल हिंद लॉर्ड विलियम बेंटिंग तथा ब्रिटिश सफीर सर चार्ल्स मैटकाफ बैठे हैं। कोछड़ के अनुसार इस तस्वीर को महाराजा रणजीत सिंह की रोपड़ में अक्टूबर, 1831 में गवर्नर जनरल हिंद से हुई ऐतिहासिक मुलाकात से जोड़ कर देखा जा रहा है। तस्वीर में जिसे महाराजा रणजीत सिंह बताया जा रहा है वह अफगानी सरदार अमीर शेर अली खां है। उसके साथ अंग्रेज अधिकारी चार्ल्स केमब्रेलेन तथा सर पुलोक बैठे हैं। इन्हें गवर्नर जनरल हिंद तथा ब्रिटिश राजदूत बताया जाता है। कोछड़ के अनुसार शेर अली खां की उसके पुत्र प्रिंस अब्दुल्ला जान तथा अफगानी सरदारों सहित अंग्रेज अधिकारियों की ये तस्वीरें ब्रिटिश फोटोग्राफर जॉन बुरके ने 1869 में अंबाला में ली थीं, जहां वायसराय लॉर्ड मैयो के स्वागत में दरबार लगा था। उन्होंने बताया कि जॉन बुरके ने अपनी इन तस्वीरों की कलेक्शन को लंदन स्थित विक्टोरिया एंड एलबर्ट म्यूजियम में फोटोग्राफ्स ऑफ द अमीर शेर अली खां एंड स्वीट (नौकर-चाकर) नाम से दर्ज करवाया था। करीब 18 वर्ष पहले विदेश में एक पंजाबी ने ये तस्वीरें देखीं और उनमें से कुछ तस्वीरों के नीचे मात्र सरदार लिखा पढ़कर ही यह कहानी गढ़ ली कि ये तस्वीरें महाराजा रणजीत सिंह तथा उनके प्रसिद्ध जरनैलों की हैं।
कोछड़ ने बताया कि पिछले वर्ष 19 नवंबर को समाचारपत्रों द्वारा यह मामला सामने लाने के बाद कई अजायबघरों तथा धार्मिक स्थानों से उक्त तस्वीर हटा ली, जबकि पाकिस्तान में महाराजा रणजीत सिंह की समाधि पर अभी भी यह तस्वीर लगी हुई है।