आऊटरीच वर्करों ने दी काम न करने की चेतावनी
संवाद सहयोगी, अमृतसर : प्रदेश भर में कार्यरत आऊटरीच वर्करों ने संघर्ष की राह पर उतरने का मन बना लिया है। वेतन में बढ़ोतरी की मांग को लेकर ये कर्मी इंडियन ग्लोबिंग फंडिंग (आइएलएफ) के खिलाफ बेहद आक्रोशित हैं।
बुधवार मेडिकल कॉलेज के एआरटी सेंटर के बाहर पत्रकारों से बातचीत करते हुए आऊटरीच वर्कर तरसेम सिंह ने कहा कि एचआइवी पॉजिटिव महिलाओं की सुरक्षित डिलीवरी के नेक काम में लगे कर्मचारियों को थोड़ा सा वेतन देकर उनका शोषण किया जा रहा है। कंपनी के अधिकारियों का रवैया ऐसा है कि जब भी उनसे वेतन बढ़ोतरी की बात की जाती है तो वे कह देते हैं कि यह सेवा का कार्य है। कंपनी उन्हें वेतन नहीं, सेवा के बदले नकद पारितोषिक देती है।
उन्होंने कहा कि प्रदेश भर के आऊटरीच वर्कर नेशनल एड्स कंट्रोल सोसायटी (नेको) के अंतर्गत कार्यरत थे, पर नेको ने उन्हें आइएलएफ के हवाले कर दिया। वह जोखिम भरा काम करते हैं। गर्भवती महिलाओं को चिह्नित करना, दवा देना, उन्हें घर से अस्पताल तक पहुंचाना, यहां तक कि डिलीवरी के बाद शिशु की संभाल करना आऊटरीच वर्कर के जिम्मे है। वह इस काम को बखूबी निभा रहे हैं, पर कंपनी उन्हें महज पांच हजार रुपये देती है। गर्भवती महिलाओं को अस्पताल तक लाने के लिए यात्रा भत्ता तक नहीं दिया जाता। सारे खर्च उन्हें अपनी जेब से करने पड़ते हैं। वेतन के नाम पर उनके पास केवल 3500 रुपये ही बचते हैं। उन्होंने कहा कि प्रदेश में 30 आऊटरीच वर्कर इस काम में जुटे हुए हैं। इनमें कई वर्कर तो खुद भी एचआइवी पॉजिटिव हैं। यदि कंपनी ने मांग को स्वीकार न किया तो सभी आऊटरीच वर्कर अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले जाएंगे।
इस अवसर पर मेडिकल कॉलेज से मोना, बेबे नानकी वार्ड से रंजीत कौर, किरणजीत कौर, जसपाल सिंह, बलजीत कौर, नरिंदर कौर आदि उपस्थित थे।