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अजय चौटाला ने कहा- मुझे पार्टी से क्यों निकाला, इनेलो में कौरव व पांडवों वाली स्थिति

इनेलो से निष्‍कासित किए जाने से दुखी अजय सिंह चौटाला ने इस फैसले को अलोकतांत्रिक करार दिया है। उन्‍होंने कहा, मुझे पार्टी से क्‍यों निकाला गया आैर मेरा कसूर क्‍या है ।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Thu, 15 Nov 2018 09:58 AM (IST)Updated: Thu, 15 Nov 2018 10:01 AM (IST)
अजय चौटाला ने कहा- मुझे पार्टी से क्यों निकाला, इनेलो में कौरव व पांडवों वाली स्थिति
अजय चौटाला ने कहा- मुझे पार्टी से क्यों निकाला, इनेलो में कौरव व पांडवों वाली स्थिति

जेएनएन, चंडीगढ़। अजय चौटाला ने इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो) से अपने निष्कासन को असंवैधानिक और अलोकतांत्रिक करार दिया है। उन्‍होंने कहा कि यह समझ से परे है कि मुझे पार्टी से क्यों निकाला गया, मेरा कसूर क्या है? नई पार्टी बनाने के संकेत देते हुए उन्होंने कहा कि जींद में कार्यक्रम पार्टी के नाम से होगा। इसके साथ ही उन्‍होंने कहा कि इनेलो में कौरव और पांडव जैसी स्थिति है।

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उन्होंने कहा कि मुझ पर क्या आरोप है, मुझे खुद यह मालूम नहीं लेकिन दुष्यंत और दिग्विजय पर 7 तारीख की गोहाना रैली में अनुशासनहीनता बरतने के आरोप थे। हालांकि यह आरोप सही नहीं थे। लोगों ने वहां जिंदाबाद के नारे लगाए थे जिसे हुल्लड़ बाजी करार दिया गया। जब आपने हुड़दंग करने वाले लोगों को पहचान लिया था तब दुष्यंत और दिग्विजय को किस बात की सजा दी गई।

अजय चौटाला ने कहा कि मुझे पार्टी से निकालने वाले लोगों को इसका कोई अधिकार नहीं है। मैं खुद हैरान हूं कि मुझे किस अधिकार के तहत निकाला गया है। अजय चौटाला ने कहा कि वह चौधरी देवीलाल की अंगुली पकड़कर चलना सीखे थे और उन्हीं के नक्शे कदम पर चलते रहेंगे।

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अजय चौटाला ने यमुनानगर में कहा कि गोहाना रैली में केवल पार्टी जिंदाबाद के नारे लगे। दुष्यंत और दिग्विजय पर हूटिंग का आरोप लगाकर उन्हें पार्टी से निष्कासित कर दिया गया। पता चला है कि अब मुझे भी पार्टी से निकाल दिया गया है। ऐसा क्यों किया गया, इसका मुझे पता नहीं। मैं तो किसी रैली में भी नहीं गया। पार्टी किसी एक की नहीं है। पार्टी कार्यकर्ताओं की है।

उन्होंने कहा, ओपी चौटाला हमेशा पांडवों व कौरवों का उदाहरण देते थे। अब वहीं स्थिति यहां बनी हुई है। पांडवों को कौरवों ने कुछ नहीं दिया। ऐसी ही हालत हमारी हो गई है। अब युद्ध होगा। 17 नवंबर को होने वाली प्रदेश कार्यकारिणी की बैठक में वह शामिल होंगे। उसके बाद ही अगली रणनीति तय होगी।

अंबाला में कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए अजय चौटाला ने कहा कि निष्कासन का अधिकार पार्टी महासचिव को होता है। जब पार्टी बनी तब चुनाव आयोग में उनके हस्ताक्षर हुए थे। निष्कासन करने वाले लोगों को पता होना चाहिए जब वे पैदा नहीं हुए थे तब पार्टी उनके हस्ताक्षर से बनी थी। उन्होंने कहा कि नैना चौटाला का निष्कासन अभी तक इसलिए नहीं किया गया क्योंकि इससे विधानसभा में नेता विपक्ष का रूतबा चला जाएगा।

कार्यकर्ताओं ने छोड़ी पार्टी

अजय चौटाला के यमुनानगर पहुंचते ही पार्टी से निष्कासित करने की खबर मिली, तो उनके साथ साढ़ौरा हलके के कार्यकर्ताओं ने भी पार्टी से इस्‍तीफे का एेलान कर दिया। अंबाला में भी कार्यकर्ताओं ने हाथ खड़े कर पार्टी से अपना सामूहिक इस्तीफा देने की घोषणा भी की।

अजय चौटाला अब कानूनी तौर पर पार्टी के संस्थापक : केसी बांगड़

अंबाला में अजय चौटाला के साथ रैली में पहुंचे पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता केसी बांगड़ ने कहा कि वर्ष 1998 में पार्टी बनी तो संविधान उन्होंने स्वयं लिखा था। अजय चौटाला को प्रधान महासचिव बनाया गया था। पार्टी के पंजीकरण और चुनाव चिह्न आवंटित कराने के दस्तावेजों पर अजय चौटाला के हस्ताक्षर हैं। वह अब कानूनी तौर पर संस्थापक हैं।

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उन्होंने कहा कि कुछ लोग पहले जमीनों पर कब्जा करना चाहते थे, अब वह पार्टी पर कब्जा करना चाहते हैं। वर्ष 2029 तक ओमप्रकाश चौटाला व अजय चौटाला चुनाव नहीं लड़ सकते हैं। ऐसे में कार्यकर्ताओं के सामने दो विकल्प हैं। एक खटारा बस है तो दूसरी वोल्वो है। कार्यकर्ताओं को फैसला करना है कि वे दुष्यंत की वोल्वो बस में चढ़ेंगे या फिर खटारा बस में सवार होंगे।

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बड़े भाई पर उंगली उठाकर नेता प्रतिपक्ष ने लांघी लक्ष्मण रेखा : दिग्विजय

सिरसा। उधर अजय चौटाला के पुत्र दिग्विजय सिंह चौटाला ने कहा कि नेता प्रतिपक्ष अभय सिंह चौटाला ने अपने बड़े भाई पर उंगली उठाकर लक्ष्मण रेखा को लांघने का काम किया है। हमें भी अपने मन की बात कहनी पड़ेगी और कहेंगे भी। चंडीगढ़ जाकर सीनियर्स से बात करेंगे। गलत के साथ समझौता नहीं करेंगे, उसके लिए हमें चाहे सब कुछ कुर्बान ही क्यों ना करना पड़े।

दिग्विजय सिरसा स्थित निवास पर पत्रकारों से रूबरू हो रहे थे। डाॅ. अजय सिंह चौटाला के निष्कासन पर प्रतिक्रिया देते हुए दिग्विजय सिंह ने कहा कि पार्टी में कुछ लोग साजिश रच रहे हैं। 12 नवंबर तक चौ. ओमप्रकाश चौटाला के माध्यम से ये लोग कह रहे थे कि सब कुछ ठीक हो जाएगा। 13 नवंबर को उनसे मिल नहीं सकते थे, वह जेल चले गए थे। 14 नवंबर की सुबह लेटर जारी किया गया जिस पर ऑटोमेटिड हस्ताक्षर हैं।

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दिग्विजय ने कहा कि चार-पांच लोगों ने चंडीगढ़ में बैठकर इसकी स्क्रिप्ट लिखी। हमें रात को ही सूत्रों से पता चल गया था कि विरोधी दल के नेता के कहने पर ये फर्जी लेटर बन चुका है। अब 17 नवंबर को जींद में लाखों लोग जुटेंगे और पार्टी का फैसला करेंगे। पार्टी का फैसला व्यक्ति विशेष या नेता नहीं, बल्कि कार्यकर्ता करेंगे। दिग्विजय ने कहा कि डाॅ. अजय चौटाला जहां जा रहे हैं, वहां पर 80-90 फीसद पार्टी के नेता-कार्यकर्ता उनके साथ खड़े हो रहे हैं।

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जिप चुनाव में सबसे बड़ी हार नेता प्रतिपक्ष के परिवार की हुई

चाचा अभय चौटाला पर कटाक्ष करते हुए दिग्विजय ने कहा कि संगरिया में जो हश्र हुआ वह किसी से छुपा नहीं है। वह तो सिर्फ ये गिनवा रहे हैं कि मैंने ये चुनाव जीता, वो जीता। लोकसभा चुनाव में हश्र हुआ कि नेता प्रतिपक्ष होते हुए भी जिला परिषद का चुनाव लड़ा। जिस विधानसभा क्षेत्र से मेरी मां नैना चौटाला सात हजार वोटों से जीती, वहीं से नेता प्रतिपक्ष का परिवार सात हजार वोटों से हार गया।

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आरएस चौधरी बड़े साजिशकर्ता, लेटर पर उनकी लैंग्वेज

दिग्विजय ने कहा कि आरएस चौधरी बड़े साजिशकर्ता हैं। लेटर में उनकी ही लेंग्वेज है। मंगलवार रात को अजय सिंह चौटाला के नाम का लेटर बना, वह उन्हीं के हाथों से लिखा हुआ (टाइप किया हुआ) है और सिग्नेचर ऑटोमेटिड हैं। इस बारे में चौटाला साहब को बाद में बताया जा रहा है। इससे पहले जब हम भी पार्टी सुप्रीमो से मिले थे तो उन्हें हमारे निलंबन के बारे में भी कोई जानकारी नहीं थी।

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