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कट सकते हैं आधे AAP विधायकों के टिकट, स्थिति जानने के लिए होगा इंटरनल सर्वे

पिछले विधानसभा चुनाव की अपेक्षा इस चुनाव में AAP के लिए चुनौती बढ़ गई है। ऐसे में वही विधायक मैदान में उतारे जाएंगे जो चुनावी मैदान में विरोधियों को पटखनी दे सकें।

By JP YadavEdited By: Published: Sat, 01 Jun 2019 11:54 AM (IST)Updated: Sat, 01 Jun 2019 04:57 PM (IST)
कट सकते हैं आधे AAP विधायकों के टिकट, स्थिति जानने के लिए होगा इंटरनल सर्वे
कट सकते हैं आधे AAP विधायकों के टिकट, स्थिति जानने के लिए होगा इंटरनल सर्वे

नई दिल्ली [वीके शुक्ला]। Lok Sabha Election 2019: लोकसभा चुनाव-2019 में दिल्ली की सातों सीटों (नई दिल्ली, पूर्वी दिल्ली, दक्षिणी दिल्ली, पश्चिमी दिल्ली, उत्तर पूर्वी दिल्ली, उत्तर पश्चिमी दिल्ली और चांदनी चौक) पर करारी हार झेलने वाली आम आदमी पार्टी (aam aadmi party) ने बड़ा कदम उठाया है। 

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लोकसभा चुनाव नहीं होगा AAP विधायकों के प्रदर्शन का आधार
आम आदमी पार्टी (AAP) लोकसभा चुनाव में मिले वोटों के आधार पर विधायकों के प्रदर्शन का आकलन नहीं करेगी, बल्कि पार्टी ने विधायकों की स्थिति जानने के लिए आंतरिक सर्वे कराने का निर्णय लिया है। इसी के आधार पर विधायकों के काम की समीक्षा होगी। इसमें विधायकों द्वारा क्षेत्र के विकास कार्य कराने की तत्परता और जनता के साथ उनके व्यवहार के आधार पर टिकट वितरण किया जाएगा। ऐसे में AAP के आधे विधायकों पर टिकट कटने का खतरा मंडरा रहा है। पार्टी ने सभी विधानसभा क्षेत्रों में पार्टी के वरिष्ठ नेताओं को यह जिम्मेदारी दी है।

लोकसभा चुनाव से ठीक पहले AAP के मुखिया अरविंद केजरीवाल ने पार्टी के सभी विधायकों को अपने क्षेत्र से पार्टी के प्रत्याशियों को जिताने के लिए कहा था। विधायक इस कार्य में लगे भी, लेकिन मोदी लहर में AAP के प्रत्याशी कुछ खास नहीं कर पाए। चूंकि, यह स्थिति अधिकतर सीटों पर रही है। ऐसे में पार्टी इस फामरूले को अपनाना न्यायसंगत नहीं मान रही है। हालांकि, जिन विधायकों के क्षेत्र में पार्टी ने बढ़त बनाई है, उन्हें विधानसभा चुनाव में इसका लाभ मिलना तय है। लेकिन, जिनके प्रत्याशी हारे हैं, उन्हें लेकर पार्टी पूरी जांच परख के बाद ही कोई फैसला लेगी। सूत्रों के मुताबिक आंतरिक सर्वे का कार्य पार्टी के उन वरिष्ठ कार्यकर्ताओं को ही दिया जाएगा जो उस क्षेत्र में रहते हैं।

सूत्रों के मुताबिक पार्टी का मानना है कि पिछले विधानसभा चुनाव की अपेक्षा इस चुनाव में AAP के लिए चुनौती बढ़ गई है। ऐसे में वही विधायक मैदान में उतारे जाएंगे, जो चुनावी मैदान में विरोधियों को पटखनी दे सकें। 2015 के विधानसभा चुनाव में 70 सीटों में से 67 सीटों पर AAP के प्रत्याशी जीते थे, मगर अब पार्टी के दो विधायक पार्टी छोड़ चुके हैं। उपचुनाव में एक सीट आप के हाथ से जा चुकी है, जबकि तीन विधायक पार्टी के खिलाफ ही मोर्चा खोले हुए हैं।

दिल्ली में पहले चुनाव कराने पर AAP को एतराज
आम आदमी पार्टी ने आशंका जताई है कि दिल्ली में भी अन्य राज्यों के साथ विधानसभा चुनाव कराए जा सकते हैं। AAP के मुख्य प्रवक्ता सौरभ भारद्वाज का कहना है कि अक्टूबर में दिल्ली विधानसभा चुनाव कराए जाने की अटकलें लगाई जा रही हैं। चुनाव आयोग को इस बारे में स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए। उनका कहना है कि फरवरी तक दिल्ली की चुनी हुई AAP सरकार का कार्यकाल है। ऐसे में चार माह पहले चुनाव आयोग इस तरह की कार्रवाई यदि करता है तो वह न्याय संगत नहीं होगी।

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