पक्के घाटों के निर्माण को लेकर पशोपेश
कुंभ के मद्देनजर गंगा और यमुना के किनारे बनने वाले पक्के घाटों के निर्माण को लेकर पशोपेश बरकरार है। योजना के तहत बनाए जाने वाले आठ घाटों में अब तक सिर्फ चार का ही निर्माण शुरू हो सका है, शेष पर कार्य कुंभ बाद ही होने के आसार हैं।
इलाहाबाद। कुंभ के मद्देनजर गंगा और यमुना के किनारे बनने वाले पक्के घाटों के निर्माण को लेकर पशोपेश बरकरार है। योजना के तहत बनाए जाने वाले आठ घाटों में अब तक सिर्फ चार का ही निर्माण शुरू हो सका है, शेष पर कार्य कुंभ बाद ही होने के आसार हैं।
शासन के निर्देशानुसार गंगा और यमुना किनारे आठ पक्के घाटों का निर्माण होना था। इनमें पांच घाट यमुना और तीन गंगा किनारे बनने थे। गंगा किनारे बनने वाले घाटों पर हाईकोर्ट ने यह कहकर रोक लगा दी थी कि गंगा के जलस्तर की विधिवत जांच के बाद ही वहां घाट का निर्माण कराया जाए, ताकि गंगा के घटने बढ़ने पर घाट पर कोई प्रभाव न पड़े। इस कार्य के लिए विशेषज्ञों की एक समिति भी बनाई गई थी। उसकी रिपोर्ट आने के बाद ही फैसला होना था मगर अब तक समिति अपनी अंतिम रिपोर्ट नहीं दे सकी है। यमुना किनारे बनने वाले घाटों में अरैल, बोट क्लब, बलुआ और बरगद घाट पर तो निर्माण कार्य शुरू हो गया है, लेकिन किला घाट पर निर्माण कार्य सेना की अनुमति न मिलने से नहीं शुरू हो सका। सेना ने किला घाट को अपनी संपत्ति बताते हुए निर्माण पर जुलाई में ही रोक लगा दी थी। अंतिम फैसला रक्षा मंत्रालय को करना था, लेकिन वहां से अब तक निर्माण की स्वीकृति नहीं मिल सकी। ऐसे में इन पांच घाटों को लेकर पशोपेश बना हुआ है। कार्यदायी संस्था बाढ़ कार्य खंड के अधिशासी अभियंता जेपी वर्मा का कहना है कि अब कुंभ से पहले लंबित पड़े पांच घाटों पर काम शुरू होना मुश्किल है। अब जिन घाटों पर कार्य चल रहा है, मुक्कमल होंगे।
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