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बुद्धि मुक्ति होने पर गुरु की आवश्कता

प्रयाग राज को तीर्थ का राजा कहा गया है। सृष्टि के प्रारंभ से ही यह स्थान ऋषियों एवं यज्ञों के लिए प्रसिद्ध है। प्राचीन समय से प्रयाग राज प्राकृतिक दिव्य वन के रूप में था यह धर्म का क्षेत्र और महान तीर्थ है। गंगा, यमुना एवं सरस्वती का जहां संगम हुआ है वो ही ब्रहृमलोक का मार्ग है।

By Edited By: Published: Tue, 05 Feb 2013 01:11 PM (IST)Updated: Tue, 05 Feb 2013 01:11 PM (IST)

कुंभनगर। प्रयाग राज को तीर्थ का राजा कहा गया है। सृष्टि के प्रारंभ से ही यह स्थान ऋषियों एवं यज्ञों के लिए प्रसिद्ध है। प्राचीन समय से प्रयाग राज प्राकृतिक दिव्य वन के रूप में था यह धर्म का क्षेत्र और महान तीर्थ है। गंगा, यमुना एवं सरस्वती का जहां संगम हुआ है वो ही ब्रहृमलोक का मार्ग है। अनंत विभूति महामण्डलेश्‌र्र्वर स्वामी प्रज्ञानंद गिरि महाराज ने रविवार को अपने शिविर महामण्डलेश्‌र्र्वर नगर में श्री रुद्र पंचकुण्डीय महायज्ञ के दौरान कहा कि शुद्ध हृदय वाले सत्यव्रत परायण महातेजस्वी एवं महाभाग तपस्वी मुनियों ने एक महान यज्ञ का आयोजन किया था।

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बुद्धि मुक्ति होने पर गुरु की आवश्कता-

मां कामाख्या संस्थान प्रयाग के तत्ववाधान में पूर्ण कुंभ मेला में सेक्टर आठ तुलसी चौराहा तुलसी मार्ग स्थित मां कामाख्या संस्थान के प्रवचन पंडाल में गीता ज्ञान अमृत वर्षा हुई। नवें दिने श्री संकर्षण महाराज ने बताया कि गीता में भगवान श्री कृष्ण अर्जुन से कहते हैं कि किस तरह तू जीवन में खुश व सुखी रह सकता है जिस समय बुद्धि मुक्ति हा जाय तो उस समय व्यक्ति को गुरू की आवश्यकता होती है। न कि दोस्त की आगे भगवान कृष्ण कहते हे मनुष्य के अंदर प्रकृति के सारे गुण ज्ञान, बुद्धि, विचार, सोच सब कुछ परमात्मा द्वारा ही प्रदत्त है।

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