Move to Jagran APP

भागवत कथा में बही भक्ति की धारा

जगत के किसी भी पदार्थ में इतना मोह मत रखो कि वह तुम्हारी भक्ति में बाधा बन जाए। ममता बंधनकर्ता है।

By Edited By: Published: Fri, 10 Aug 2012 11:57 AM (IST)Updated: Fri, 10 Aug 2012 11:57 AM (IST)
भागवत कथा में बही भक्ति की धारा

आगरा। जगत के किसी भी पदार्थ में इतना मोह मत रखो कि वह तुम्हारी भक्ति में बाधा बन जाए। ममता बंधनकर्ता है। यह कहना था आचार्य श्यामदत्त का। वे कमला नगर स्थित महाराजा अग्रसेन सेवा सदन में आयोजित भागवत कथा के दूसरे दिन जड़ भरत की कथा का वर्णन कर रहे थे।

loksabha election banner

कथा का प्रारम्भ में उन्होंने गुरु की महिमा का वर्णन किया। उसके बाद आदिशक्ति सती के चरित्र व मनु की कन्याओं के वंश का उल्लेख एवं दक्ष प्रजापति की पत्नी प्रसूती को सोलह कन्याओं के बारे मे वर्णन करते हुए बताया कि सोलहवीं कन्या सती थी, जो कि भगवान शिव की पत्नी बनी थीं। कथा व्यास ने ऐसी बहुत सी कथाओं के बारे में वर्णन कर भक्तों का मन मोह लिया। सभी भक्त भागवत कथा के बीच बीच में होने वाले मधुर भजनों जैसे मेरे घर के आगे ओ श्याम, तेरा मंदिर बन जाए एवं अमीर चले आये गरीब चले आये आज तेरे दर पर फकीर चले आए भजनों में भाव विभोर हो गए।

मोबाइल पर ताजा खबरें, फोटो, वीडियो व लाइव स्कोर देखने के लिए जाएं m.jagran.com पर


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.