मानस के हर कांड में तीन मातृशक्तियां
24 जनवरी अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस के रूप में मनाया जाता है और कुंभनगरी में यह दिन गुरुवार को पड़ा तो मोरारी बापू की कथा मातृशक्ति पर केंद्रित रही। राम भक्ति जहं सुरसरि धारा से अपनी कथा आगे बढ़ाते हुए उन्होंने कहा कि मां गंगा भक्ति की धारा है और मां यमुना कर्म की।
कुंभ नगर। 24 जनवरी अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस के रूप में मनाया जाता है और कुंभनगरी में यह दिन गुरुवार को पड़ा तो मोरारी बापू की कथा मातृशक्ति पर केंद्रित रही। राम भक्ति जहं सुरसरि धारा से अपनी कथा आगे बढ़ाते हुए उन्होंने कहा कि मां गंगा भक्ति की धारा है और मां यमुना कर्म की। बापू ने जानकारी दी कि रामचरित मानस के प्रत्येक कांड में तीन मातृ शक्तियां हैं। यह अपने में विशिष्ट थीं।
सुंदरकांड याद दिलाते हुए उन्होंने लंकिनी का उल्लेख किया। कहा कि लंकिनी बहुत शक्तिशाली थी। उसने बजरंग बली का रास्ता रोक लिया था। लंका कांड का जिक्र करते हुए उन्होंने मंदोदरी को मातृशक्ति का दर्जा दिया। कहा वह भी परमबलशाली थीं। उन्होंने इन मातृशक्तियों को भक्ति के रूप में चित्रित किया। बापू ने कहा कि यमुना रविनंदन सूर्य की पुत्री हैं। यमुना कर्म की धारा हैं। गंगा में भक्ति तो सरस्वती में ब्रंा की धारा प्रवाहित हो रही है। उन्होंने भक्ति, कर्म एवं ब्रहृमा की धाराओं को यहां का संगम बताते हुए कहा कि यह विचारधारा साधु समाज में भी है। साधु संत को कैसा होना चाहिए, उन्होंने इसका भी वर्णन किया। कहा कि संत को समाज सम्मान की दृष्टि से देखता है। तप साधना से संत बनता है। ऐसे में उस पर समाज की मर्यादाओं की बहुत जिम्मेदारी होती है। उन्होंने कहा कि एक भक्त अपने गुरु को सब अर्पित कर देता है। ऐसे में गुरु का भी कर्तव्य है कि वह भक्त की हर समय रक्षा करे।
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