भक्ति के रंग में रंगे आसाराम के भक्त
त्रिवेणी के तट एवं महाशिवरात्रि पर्व पर भक्ति गीतों के बीच संत आसाराम बापू ने भक्तों संग होली खेली। कुंभक्षेत्र के सेक्टर छह स्थित अपने शिविर में आसाराम ने भक्तों पर पलाश के फूलों से बने रंगों की वर्षा की।
कुंभनगर। त्रिवेणी के तट एवं महाशिवरात्रि पर्व पर भक्ति गीतों के बीच संत आसाराम बापू ने भक्तों संग होली खेली। कुंभक्षेत्र के सेक्टर छह स्थित अपने शिविर में आसाराम ने भक्तों पर पलाश के फूलों से बने रंगों की वर्षा की। रंग की फुहार जिसके ऊपर पड़ती वह गुरु की भक्ति एवं अद्भुत आनंद में डूब जाता। पिचकारी जिस ओर मुड़ती भक्तों का सैलाब उसी ओर इकट्ठा हो जाता। श्रद्धालु आसाराम का जयकारा लगाते हुए मंत्रमुग्ध थे। पिचकारियों से निकलने वाले रंग को पाने के लिए हर कोई व्याकुल नजर आया, जिसके ऊपर रंग गिरता वह खुद को सौभाग्यशाली मान रहा था। संत आसाराम ने कहा कि परमात्मा को प्राप्त करने का सबसे सरल माध्यम भक्ति है। तन और मन की सच्चाई एवं आराध्य के प्रति समर्पण हमें सफलता के करीब ले जाती है, क्योंकि हमसे ईश्र्र्वर प्रसन्न होते हैं। अगर वह प्रसन्न हैं तो किसी की चिंता करने की कोई जरूरत ही नहीं है। वही हमारे परम हितैषी हैं उनका यश गाने पर ही हमारा आनंद स्वभाव जागृत होता है।
उन्होंने कहा कि सत्संग में आने वाले को मानव कल्याण की सोच रखनी चाहिए। एक दूसरे के प्रति द्वेष रखने वाले को पग-पग में समस्याओं का सामना करना पड़ता है, फिर पूजा-पाठ करने का भी कोई असर नहीं होता। कहा कि भगवान अपने भक्त का साथ कभी नहीं छोड़ते, जरूरत है उन्हें सच्चे हृदय से याद करने की। इसके साथ ही आसाराम बापू के शिविर का समापन हो गया, भक्तों को सम्पन्नता का आशीर्वाद देकर वह यहां से विदा हुए।
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