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झर-झर बरसा पुण्य

अमृत से सिंचित धरती। अमरत्व की लालसा से उमड़ी करोड़ों की भीड़। फिर वही मंगल योग और तीर्थराज प्रयाग की अगुवाई में आकाश पथ पर खड़े तैंतीस करोड़ देवी-देवताओं की अंजलि से झर-झर बरसती पुण्य राशि की अजस्न धारा।

By Edited By: Published: Mon, 11 Feb 2013 05:00 PM (IST)Updated: Mon, 11 Feb 2013 05:00 PM (IST)
झर-झर बरसा पुण्य

कुंभ नगर। अमृत से सिंचित धरती। अमरत्व की लालसा से उमड़ी करोड़ों की भीड़। फिर वही मंगल योग और तीर्थराज प्रयाग की अगुवाई में आकाश पथ पर खड़े तैंतीस करोड़ देवी-देवताओं की अंजलि से झर-झर बरसती पुण्य राशि की अजस्न धारा। धैर्य पर्व मौनी अमावस्या के अमृत योग में परम-पावनी त्रिवेणी के तट पर पूरे 360 वर्ष बाद घट रही इस आध्यात्मिक घटना के साक्षी बने भूमि-आकाश, अडिग ध्रुव नक्षत्र और चारों दिशाओं के सजग दिग्पाल। युगों के अवसान के बाद भी अमृत-अमरत्व और परम तत्व को ले कर वैसी ही उत्सुकता और वैसी ही आतुरता जैसी सिंधु के अंतर से प्रकटे अमृत कलश की प्राप्ति के बाद समुद्र मंथन के समय रही होगी। भौतिक अनुभूति के स्तर पर इस पुण्य वर्षा में कौन कितना भीगा और कितना नहाया यह तो उसका तन जाने, पर आस्था और विश्वास के स्तर पुण्य की इस रिमझिम से मन को भिगोने में दैव ने किचिंत भी कृपणता नहीं बरती। इस महानुष्ठान में भागीदारी दर्ज करा कर लौटने वाले हर श्रद्धालु के चेहरे पर चरम तृप्ति, परम संतोष के भाव बता रहे थे कि पुण्य के संचयन में कोई भी किसी से पीछे नहीं रहा। रात के तीसरे पहर से ही उमड़-घुमड़ कर बरस पड़े पुण्य मेघों की बौछार का क्त्रम शाही स्नान से लेकर शाम देवी गंगा की आरती तक कुछ इस प्रकार रहा-

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पुण्य की पहली बौछार: खिली-खिली अरुणिमा क्षितिज पर विस्तार पाने लगी

निर्मोही अखाड़े का रथ तोड़ा लूटपाट-

रविवार को शाही पथ पर निर्मोही अनी अखाड़े के एक रथ पर सवार श्री महंत रमाकांत दास पर कुछ लोगों ने हमला बोल दिया। उनके साथ मारपीट की गई और बैग में रखा सात लाख रुपया छीन लिया। रथ को तोड़ कर और उस पर सवार चार संप्रदाय के रामलखन दास को भी नीचे उतार लिया गया। विरोध करने पर गनर के साथ भी हाथापाई की गई। इस घटना से तीन अनी अखाड़ों में हंगामा मचा है। नाराज कई महंतों ने शाही स्नान का बहिष्कार कर दिया। पूर्वाह्न दस बजे जूना अखाड़े के शाही स्नान के बाद निर्मोही अनी अखाड़े का क्त्रम था। इस अखाड़े के महंत एवं खालसे जब शाही मार्ग से शाही घाट के लिए रवाना हुए उसी समय कुछ साधु वेशधारी लोग श्री महंत रमाकांत दास के रथ पर चढ़ गए। इस रथ पर चार संप्रदाय के महंत रामलखन दास बैठे थे। इन लोगों ने पहले रथ को तोड़ दिया। फिर श्री महंत रमाकांत दास के साथ मारपीट की। उनके कपड़े फाड़ दिए। बैग छीन लिया जिसमें सात लाख रुपये थे। महंत रामलखन दास को नीचे उतार लिया। सुरक्षा गार्ड ने प्रतिरोध किया तो उसके साथ भी धक्कामुक्की की। बताया जाता है कि मारपीट के दौरान वहां अखाड़े के उपमंत्री महंत राजेन्द्र दास भी मौजूद थे। उन्होंने महंत रामलखन दास को अपने साथ लिया और शाही स्नान करने चले गए। इस घटना से आहत महंत रमाकांत दास वापस निर्वाणी अनी अखाड़े आए और अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत ज्ञानदास को पूरी जानकारी दी।

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