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एक और संत को जलसमाधि

गंगा को प्रदूषण से मुक्त करने के लिए चल रहे तमाम आंदोलन और न्यायालय के आदेश को दरकिनार करते हुए शुक्रवार को फिर एक संत को जल समाधि दे दी गई। इसके लिए मेला प्रशासन के अधिकारियों ने ही पूरी व्यवस्था भी कराई किस स्थल पर समाधि दी जाए उसका चयन भी कराया।

By Edited By: Published: Sat, 19 Jan 2013 11:14 AM (IST)Updated: Sat, 19 Jan 2013 11:14 AM (IST)

कुंभ नगर। गंगा को प्रदूषण से मुक्त करने के लिए चल रहे तमाम आंदोलन और न्यायालय के आदेश को दरकिनार करते हुए शुक्रवार को फिर एक संत को जल समाधि दे दी गई। इसके लिए मेला प्रशासन के अधिकारियों ने ही पूरी व्यवस्था भी कराई किस स्थल पर समाधि दी जाए उसका चयन भी कराया। अखाड़ों ने दिनभर इस प्रक्रिया पर मौन साधे रखा। लेकिन इतना जरूर कहा कि भू समाधि की कोई व्यवस्था नहीं होने के कारण उन्हें जल समाधि दी गई है।

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गंगा को प्रदूषण से मुक्त करने के लिए संगम के तट पर जल संसद बैठ रही है। तमाम आंदोलन चल रहे हैं। न्यायालय ने भी इस मामले में हस्तक्षेप कर रखा है। साधु संत भी गंगा में प्रदूषण रोकने के लिए अपने एक संस्कार को बदलने को तैयार हैं और प्रशासन से स्पष्ट कर चुके हैं कि वे गंगा में किसी साधु के शव को विसर्जित नहीं करना चाहते। उन्हें भूसमाधि के लिए जगह उपलब्ध लेकिन इसको लेकर प्रशासन का रवैया नहीं बदल रहा है। कुंभ पर्व में अब तक चार साधुओं की मौत हो चुकी है इन सबको जल समाधि दी गई है। संयोग है कि यह सभी साधु जूना अखाड़े से संबंधित रहे हैं। आज भी जूना अखाड़े के एक महंत को जलसमाधि दी गई। गुरुवार को दिल्ली में रिठाला देवी मंदिर के महंत महादेव गिरी ने शरीर छोड़ दिया। उनकी अंतिम इच्छा थी कि उन्हें प्रयाग में जल समाधि दी जाए। कुंभ में उनके गुरु भाई महंत हरीश गिरि पहले से यहां मौजूद थे। जम्मू-कश्मीर, ऊधम नगर के महंत विजय गिरि ने बताया कि दोपहर में महंत महादेव का शरीर कुंभ नगर में लाया गया। यहां जूना अखाड़े में शव को रखा गया। साधु संतों ने महादेव गिरि को पुष्पांजलि अर्पित की। इसके बाद अफसरों ने जल समाधि की व्यवस्था की।

संतों ने कहा-

संन्यासी को जल, भू व आकाश समाधि देने की परंपरा है। जूना अखाड़ा ने उसी परंपरा का पालन किया है। किसी संत को जल में समाधि देने से गंगा में प्रदूषण नहीं बढ़ता।

-स्वामी नरेंद्रानंद सरस्वती, काशी सुमेरुपीठाधीश्‌र्र्वर

महंत काफी दिनों से भूमिगत समाधि के लिए जमीन मांग रहे थे, प्रशासन ने उनकी मदद नहीं की, इसके बाद जल समाधि ही अंतिम रास्ता था। इसमें कुछ गलत नहीं हुआ है।

-स्वामी हरिचैतन्य ब्रह्मचारी

जल समाधि हमारी प्राचीन परंपरा है, महंत को जल समाधि देने से मां गंगा का प्रदूषण खत्म होगा न कि बढ़ेगा। इस सनातनी प्रक्रिया को गंगा प्रदूषण से नहीं जोड़ना चाहिए।

-महंत नरेंद्र गिरि, निरंजनी अखाड़ा

महंत को जल समाधि देना किसी भी रूप में अनुचित नहीं है। गंगा में प्रदूषण नालों व टेनरियों के पानी से बढ़ा है। कोर्ट ने शासन-प्रशासन से टेनरियों व नालों का पानी रोकने का आदेश दिया है।

-जगद्गुरु स्वामी महेशाश्रम, संरक्षक दंडी स्वामी समिति

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