यज्ञ से खत्म होगा मानसिक प्रदूषण
सद्गुरु सदाफल देव विहंगम योग संस्थान के संत स्वतंत्र देव महाराज ने कहा कि यज्ञ संसार का श्रेष्ठतम कर्म है। यह एक आंतरिक प्रक्रिया है और वाह्य यज्ञ उसका प्रतीक मात्र है।
चौबेपुर। सद्गुरु सदाफल देव विहंगम योग संस्थान के संत स्वतंत्र देव महाराज ने कहा कि यज्ञ संसार का श्रेष्ठतम कर्म है। यह एक आंतरिक प्रक्रिया है और वाह्य यज्ञ उसका प्रतीक मात्र है। इससे भौतिक कामनाओं की पूर्ति होती है लेकिन इसकी मुख्य भावना स्वार्थ का त्याग और परोपकारमय जीवन व्यतीत करने से है। वास्तव में यज्ञ आंतरिक, वैचारिक व मानसिक प्रदूषण समाप्त करने का अमोघ उपाय है।
सद्गुरु स्वतंत्र देव उमरहां स्थित स्वर्वेद महामंदिर धाम में 5101 कुंडीय विश्वशांति महायज्ञ समारोह में प्रवचन कर रहे थे। उन्होंने कहा कि यज्ञ से समर्पण की भावना प्रगाढ़ होती है। इसे मात्र भौतिक कर्मकांड समझने की बजाय आध्यात्मिक रूप से अनुष्ठान आवश्यक है। संत विज्ञानदेव महाराज ने कहा कि यज्ञ, दान और तप मनीषियों को पवित्र करते हैं। यज्ञ अनुष्ठान से प्रत्यक्ष व परोक्ष रूप से इसका लाभ मिलता है। वैदिक मंत्रोच्चार से वातावरण शुद्ध हो दिव्य परिवेश का निर्माण होता है। यज्ञ व योग के सामंजस्य से ही विश्व में शांति स्थापित की जा सकती है।
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