मास्टर को छोड़कर सभी परेशान हैं हिल्फी से
विकेट या मेडन, शीर्ष क्रम या पुछल्ले बल्लेबाज, नई गेंद से या पुरानी गेंद से, हर रूप में आस्ट्रेलियाई तेज गेंदबाज बेन हिल्फेनहास वर्तमान टेस्ट सारीज में भारतीयों के लिए किसी दु:स्वप्न की तरह बने हुए हैं। वह मौजूदा दौरे पर भारत के सामने ऐसी पहेली बने हुए हैं जिसको बुझा पाना किसी भारतीय बल्लेबाज के बस में नहीं दिख रहा।
एडिलेड। विकेट या मेडन, शीर्ष क्रम या पुछल्ले बल्लेबाज, नई गेंद से या पुरानी गेंद से, हर रूप में आस्ट्रेलियाई तेज गेंदबाज बेन हिल्फेनहास वर्तमान टेस्ट सारीज में भारतीयों के लिए किसी दु:स्वप्न की तरह बने हुए हैं। वह मौजूदा दौरे पर भारत के सामने ऐसी पहेली बने हुए हैं जिसको बुझा पाना किसी भारतीय बल्लेबाज के बस में नहीं दिख रहा।
वाका में जिस तरह से हिल्फेनहास ने भारतीय निचले क्रम को जल्दी जल्दी निपटाया उसकी यादें अब भी ताजा बनी हुई हैं लेकिन यह भी गौर करने वाला आंकड़ा है कि उनके 23 में से 14 विकेट भारत के चोटी के सात बल्लेबाज हैं। इस तस्मानियाई गेंदबाज ने भारत के विस्फोटक बल्लेबाज वीरेंद्र सहवाग को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाया है। सहवाग उनकी आउटस्विंगर को समझने में नाकाम रहे हैं। सहवाग ने अब तक हिल्फेनहास की जो 88 गेंदें खेली हैं उनमें केवल एक चौका लगाया है। यह चौका भी पर्थ की दूसरी पारी में स्लिप कार्डन से निकला था। हिल्फेनहास अब तक तीन बार सहवाग को आउट कर चुके हैं। दूसरे सलामी बल्लेबाज गौतम गंभीर की कहानी भी कुछ ऐसी ही है। वह वाका टेस्ट से पहले तक हिल्फी पर चौका नहीं जमा पाए थे। गंभीर ने अब तक हिल्फेनहास की 131 गेंद पर 27 रन बनाए हैं और दो बार इस गेंदबाज का शिकार बन चुके हैं ,अभी तक सीरीज में कोई भी ऐसा टेस्ट नहीं रहा जब हिल्फेनहास ने किसी एक सलामी बल्लेबाज को आउट नहीं किया हो। भारतीय सलामी जोड़ी भी अब तक छह पारियों में 24 रन से बड़ी साझेदारी नहीं निभा पाई है।
वीवीएस लक्ष्मण की साख यदि दांव पर लगी है तो इसका कारण भी हिल्फेनहास ही हैं। पिछले 12 सालों से अपनी कलात्मक बल्लेबाजी से आस्ट्रेलिया को रुलाने वाले लक्ष्मण ने अब तक हिल्फेनहास की 59 गेंद खेलीं लेकिन इनमें वह केवल 12 रन ही बना पाए। वह दो बार इस गेंदबाज की गेंद पर आउट हुए। इनमें से पर्थ की दूसरी पारी का शून्य भी शामिल है जिससे उनका कैरियर समाप्त माना जा रहा है। विराट कोहली ने पर्थ में 75 रन बनाकर अपने कैरियर में नई जान भरी। इसकी मुख्य वजह यह थी कि वह हिल्फेनहास के सामने डटकर खड़े रहे। कुछ आफ कटर पर भाग्य भी उनके साथ रहा लेकिन वह इस गेंदबाज की 70 गेंद पर 30 रन बनाने में सफल रहे हैं। यह अलग बात है कि इस तेज गेंदबाज ने उन्हें भी दो बार आउट किया है। भारतीय कप्तान महेंद्र सिंह धोनी और राहुल द्रविड़ भी हिल्फेनहास की गेंदों का तोड़ नहीं ढूंढ पाए। धोनी तीन जबकि द्रविड़ दो बार हिल्फेनहास की गेंदों के शिकार बने। भारत के चोटी के छह बल्लेबाजों में से एक ने कहा, वह अमूमन आउटस्विंगर करता है लेकिन जिस गेंद को वह राउंड आर्म एक्शन से करता है वह दाएं हाथ के बल्लेबाज के लिए अंदर आती है। इसके अलावा लगातार आठ नौ ओवर कर रहा है और उन्हें हवा से भी मदद मिल रही है। इससे अन्य गेंदबाजों को दूसरे छोर से रोटेट करने में मदद मिलती है।
हिल्फेनहास अभी तक हालांकि सचिन तेंदुलकर पर कोई प्रभाव नहीं छोड़ पाए हैं। तेंदुलकर ने उनकी 93 गेंद खेली है तथा उन पर 77 रन बनाए हैं। इनमें से 60 रन बाउंड्रीज से बने हैं। तेंदुलकर ने सिडनी में उनकी गेंदों पर स्क्वायर कट तो मेलबर्न में विकेट के दोनों तरफ स्ट्रेट ड्राइव किए। इसके बाद ही हिल्फेनहास की जगह सिडल ने गेंद संभाली थी। माइकल क्लार्क का कप्तान के रूप में विकास का इससे पता चलता है कि जब भी तेंदुलकर क्रीज पर उतरते हैं तो हिल्फेनहास को गेंदबाजी से हटा देते हैं। वाका में दूसरी पारी में मिशेल स्टार्क ने केवल एक ओवर का स्पेल किया जिसमें उन्होंने तेंदुलकर को आउट कर दिया। इसके बाद स्टार्क को हटाकर उनकी जगह हिल्फेनहास को गेंद सौंप दी गई थी।
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