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संगम पर खत्म होगी अखाड़ों की दरार

कुंभ मेले के दौरान यातायात नियंत्रण में इस बार भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान (ट्रिपलआइटी) का जादू चलेगा। संगम क्षेत्र और इलाहाबाद में आने वाले प्रमुख मार्गो की भीड़ को नियंत्रित करने और स्थिति पर नजर रखने के लिए सॉफ्टवेयर और गैजेट विकसित करने का काम ट्रिपलआइटी को सौंपा गया है।

By Edited By: Published: Thu, 27 Sep 2012 05:32 PM (IST)Updated: Thu, 27 Sep 2012 05:32 PM (IST)

इलाहाबाद। कुंभ मेले के दौरान यातायात नियंत्रण में इस बार भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान (ट्रिपलआइटी) का जादू चलेगा। संगम क्षेत्र और इलाहाबाद में आने वाले प्रमुख मार्गो की भीड़ को नियंत्रित करने और स्थिति पर नजर रखने के लिए सॉफ्टवेयर और गैजेट विकसित करने का काम ट्रिपलआइटी को सौंपा गया है। ट्रिपलआइटी के विशेषज्ञ ऐसे सॉफ्टवेयर विकसित करने में जुट गए हैं, जिनकी सहायता से पूरे मेला क्षेत्र की भीड़ पर एक कमरे में बैठे-बैठे संजय दृष्टि डाली जा सकेगी। अधिकारी कंट्रोल रूम से भीड़ पर निगाह और नियंत्रण रख सकेंगे। यातायात और सुरक्षा-व्यवस्था में मदद के लिए इलाहाबाद शहर में लगभग 200 क्लोज सर्किट टेलीविजन (सीसीटीवी) कैमरे लगाए जाएंगे। कंट्रोल रूम में बैठे पुलिस अफसर ट्रिपलआइटी द्वारा विकसित रियल टाइम मैनेजमेंट तकनीकी की मदद से संगम स्नान क्षेत्र, बस और रेलवे स्टेशन समेत पूरे शहर में प्रवेश मार्गो पर सूक्ष्म दृष्टि डाल सकेंगे। यदि किसी स्थान पर जरूरत से अधिक भीड़ एकत्रित होगी तो वहां संबंधित अधिकारियों और पुलिसकर्मियों को सक्रिय कर दिया जाएगा। इसके अलावा वहां विभिन्न रूटों से पहुंच रही भीड़ को डायवर्ट कर दिया जाएगा। ट्रिपलआइटी के निदेशक डॉ. एमडी तिवारी ने बताया कि इस संबंध में मेलाधिकारी मणिप्रसाद मिश्र व संस्थान के तकनीकी विशेषज्ञों के साथ कई बैठकें हो चुकी हैं। ट्रिपलआइटी ऐसी तकनीकी विकसित करने पर काम कर रहा है, जिनकी सहायता से भगदड़ जैसी किसी अप्रिय घटना से बचा जा सके। इसके लिए विशेष तकनीकी व गैजेट विकसित किए जा रहे हैं। कुंभ मेलाधिकारी श्री मिश्र ने बताया कि मेले की खुफिया निगरानी के लिए 200 सीसीटीवी कैमरे समेत तमाम आधुनिक उपकरण लगाए जाएंगे। सिविल पुलिस और अर्धसैनिक बलों के अलावा सेना भी सुरक्षा-व्यवस्था में मदद करेगी। इनमें आपसी बातचीत के लिए मोबाइल फोन के अलावा एक बड़ा वायरलेस नेटवर्क बनाया जा रहा है। इस बार मेला क्षेत्र में 40 थाने और 42 चौकियां बनाई जाएंगी। कुंभ मेला मकर संक्रांति 14 जनवरी से प्रारंभ होकर शिवरात्रि दस मार्च तक चलेगा। इस मेले की शुरुआत से लेकर अंत तक कई करोड़ लोग आएंगे।

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मुख्य पर्व होंगे सबसे बड़ी चुनौती

मुख्य पर्वो पर नागा साधुओं के शाही स्नान के दौरान तीन चार करोड़ लोग एक साथ आ जाते हैं। ऐसे में पुलिस और मेला प्रशासन के लिए सबसे बड़ा खतरा भगदड़ रहता है। यही कारण है कि मेला प्रशासन इसको सबसे अधिक गंभीरता से ले रहा है।

हरिद्वार कुंभ के दौरान अखाड़ा परिषद में आई दरार संगम तट पर खत्म हो सकती है। कुछ वरिष्ठ महंतों ने इसके लिए पहल की है और माना जा रहा है कि 28 सितंबर को यहां होने वाली बैठक में सहमति प्रस्ताव पर मुहर लग जाएगी। इसके लिए अखाड़ा परिषद के गठन के लिए ऐसे प्रस्ताव की तैयारी है जो सभी प्रतिनिधियों को स्वीकार हो।

गौैरतलब है कि अखाड़े महाकुंभ की शान माने जाते हैं और संगम पर इनका शाही स्नान देखने के लिए श्रद्धालुओं का भारी भीड़ उमड़ती है। इसमें देश के सभी तेरह अखाड़े शामिल होते हैं। इस समय अखाड़ा परिषद दो भागों में विभाजित है जिसमें महंत बलवंत सिंह को नौ अखाड़ों का समर्थन हासिल है जबकि शेष चार महंत ज्ञानदास के साथ हैं। इस तरह का विभाजन कहीं महाकुंभ में अखाड़ों की प्रतिष्ठा को नुकसान न पहुंचाए, इसलिए अब इन्हें एक करने की कोशिश की जा रही है। पहले 28 सितंबर की बैठक में सिर्फ बलवंत सिंह की अध्यक्षता वाले परिषद के प्रतिनिधियों को ही बुलाया गया गया था लेकिन बाद में सभी अखाड़ों को आमंत्रित किया गया।

इस दिशा में पहल करने वाले बाघंबरी गद्दी के महंत नरेंद्र गिरी बताते हैं-अखाड़ों का आपसी मतभेद तैयारियों पर असर डाल सकता है। अखाड़ा परिषद की ओर से शासन-प्रशासन से कौन वार्ता करे इसमें भी समस्या आ सकती है। इसलिए सभी अखाड़ों के प्रतिनिधियों को वार्ता के लिए बुलाया गया है। नियमानुसार हर अखाड़े से दो प्रतिनिधि इसमें भाग लेंगे। बैठक का एजेंडा प्रत्यक्ष रूप में महाकुंभ को लेकर अखाड़ों की तैयारियां हैं लेकिन इसमें आगामी कुंभ के दौरान होने वाले चुनाव की रूपरेखा भी निर्धारित की जा सकती है। उल्लेखनीय है कि हर कुंभ में अखाड़ा परिषद का पुनर्गठन किए जाने की परंपरा है। परिषद के प्रवक्ता महंत दुर्गादास के अनुसार बैठक सितंबर माह में ही इसलिए बुलाई गई है ताकि समय रहते अखाड़ों की योजना को अंतिम रूप दिया जा सके। इसके साथ ही तैयारियों को लेकर प्रशासन से वार्ता का दौर शुरू किया जा सके, जो अभी तक नहीं किया जा सका है। इससे प्रशासन की तैयारियों पर भी असर पड़ रहा है।

बारी-बारी से मिल सकता है अखाड़ों को नेतृत्व- अखाड़ा परिषद में पदों को लेकर अहं के टकराव को देखते हुए अब इसके चुनाव में रोटेशन प्रणाली अपनाने पर विचार किया जा रहा है। सूत्रों के अनुसार इसके लिए प्रस्ताव तैयार कर लिया गया है। चूंकि प्रस्ताव में बारी-बारी से सभी अखाड़ों को नेतृत्व देने की बात कही गई है, इसलिए इस पर एकराय हो सकती है। बैठक में इसे रखा जाएगा।

ये हैं अखाड़े-

= पंचायती अखाड़ा, महानिर्वाणी

= अटल अखाड़ा

= निरंजनी अखाड़ा

= आनंद अखाड़ा

= जूना अखाड़ा

= आवाहन अखाड़ा

= अग्नि अखाड़ा

= नर्वानी अनी वैष्णव

= दिगंबर अनी वैष्णव

= निर्मोही अनी, वैष्णव

= पंचायती अखाड़ा, बड़ा उदासीन

= नया उदासीन अखाड़ा

= निर्मल अखाड़ा

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