सामूहिक होली से होती है लाखों लीटर पानी की बचत
आसाराम बापू ने पानी की किल्लत से जूझ रहे आम आदमी को सामूहिक तौर पर होली का पर्व मनाने की सलाह दी। बापू ने कहा कि इससे त्योहार भी मनाया जा सकता है और लाखों लीटर पानी की बचत भी हो सकती है। उन्होंने संगत से होली में केमिकल रंग के बजाय प्राकृतिक रंगों का इस्तेमाल करने पर जोर देते हुए कहा कि इससे भी पानी की बचत होगी।
जम्मू। आसाराम बापू ने पानी की किल्लत से जूझ रहे आम आदमी को सामूहिक तौर पर होली का पर्व मनाने की सलाह दी। बापू ने कहा कि इससे त्योहार भी मनाया जा सकता है और लाखों लीटर पानी की बचत भी हो सकती है। उन्होंने संगत से होली में केमिकल रंग के बजाय प्राकृतिक रंगों का इस्तेमाल करने पर जोर देते हुए कहा कि इससे भी पानी की बचत होगी।
सत्संग के दौरान पंडाल में बैठी संगत पर पलाश के फूलों के रंग की वर्षा करते हुए बापू ने कहा कि अब पानी बचत के मुद्दे को लेकर उन्हें घेरने का प्रयास किया जा रहा है। बापू ने कहा कि महाराष्ट्र में ढाई लाख लीटर पानी एक शराब की फैक्ट्री में प्रतिदिन खर्च होता है, नौ लाख लीटर पानी प्रतिदिन बूचड़खाने जबकि फाइव स्टार होटलों में चंद लोगों के लिए लाखों लीटर पानी खर्च होता है। यदि सरकार पानी बचत को लेकर इतनी ही गंभीर है तो वे खस्ताहाल पाइपों में प्रतिदिन व्यर्थ बहने वाले लाखों लीटर पानी को भी बचा ले तो पानी की कमी को पूरा किया जा सकता है। हिंदुओं के इतने बड़े त्योहार पर 50 ग्राम प्रति व्यक्ति के हिसाब से स्वास्थ्यवर्थक रंगों की वर्षा को पानी का दुरुपयोग बताकर भारतीय संस्कृति-रीति रिवाजों को समाप्त करने की साजिश है।
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