विरागी जीवन पर मुहर लगाएंगे शिव
दीन दुनिया से परे-वैराग धरे 3000 नागा संन्यासी महाशिवरात्रि पर काशी विश्वनाथ मंदिर में शपथबद्ध होंगे। फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी बाबा के विवाह की तिथि महाशिवरात्रि पर काशी के गले में चंद्रहार से विराजी उत्तरवाहिनी गंगा में नहाएंगे। जूना अखाड़े के रमता पंच-संत महंत के संग देवाधिदेव के दरबार जाएंगे।
वाराणसी। दीन दुनिया से परे-वैराग धरे 3000 नागा संन्यासी महाशिवरात्रि पर काशी विश्वनाथ मंदिर में शपथबद्ध होंगे। फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी बाबा के विवाह की तिथि महाशिवरात्रि पर काशी के गले में चंद्रहार से विराजी उत्तरवाहिनी गंगा में नहाएंगे। जूना अखाड़े के रमता पंच-संत महंत के संग देवाधिदेव के दरबार जाएंगे। विधि विधान से पूजन अनुष्ठान करेंगे और शीश नवाएंगे। औघड़दानी बाबा के दरबार में नागा जीवन में प्रवेश पाए संन्यासियों का दीक्षांत समारोह फनेगा। यहां ही उनके वैरागी जीवन की डिग्री पर काशीपुराधिपति की मुहर लगेगी।
तीर्थराज प्रयाग में ग्रह नक्षत्रों के विशेष योग कुंभ में चार चरणों में यह संयोग बना था। इसमें 3200 अवधूतों ने संन्यासी जीवन में दाखिला पाया। इसमें 100 महिलाओं ने भी तज मोह माया यह सुभाग पाया। कड़ी परीक्षा में दिन रात को खुद को तपाया। माता-पिता, बंधु-बांधव समेत अपना भी पिंडदान किया। रिश्ते-नाते और तमाम सांसारिक बंधनों को निर्ममता से तोड़ा और खुद को प्रभु से चरणों में नागा रूप में जोड़ा। इससे पहले फक्कड़ी, अवधूतों की निरख परख के बाद अखाड़ों के पंच परमेश्वर ने परीक्षा में शामिल होने की संस्तुति की। अखाड़े के इष्टदेव का पूजन, मुंडन, गंगा स्नान, पिंडदान, जप, पंचदेव स्मरण, जनेऊ व दंड धारण, विरजा होम, दंड विसर्जन के बाद जूना अखाड़ा पीठाधीश्वर से दीक्षा पाया। इसके बाद भी महंतों की निगरानी में सांसारिक मोह भंग की परीक्षा दी, इसमें सफलता पाया। मौनी अमावस्या पर शाही स्नान किया और नागा रूप निखर आया।
अखाड़े के सचिव महंत विद्यानंद सरस्वती ने बताया कि महाशिवरात्रि पर संत महंत रमता पंच शिवाला घाट पर गंगा में डुबकी लगाएंगे। हाथी-घोड़ा-पालकी के साथ शाही सवारी सजेगी। देवाधिदेव दरबार में 3000 नए नागा संन्यासी बाबा को अ?र्घ्य देंगे और शपथ लेते जाएंगे। अखाड़े के संविधान में निहित विधि विधान उन्हें पहले ही बता-समझा दिए जाएंगे।
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