वासंतिक नवरात्र: सिद्धिदात्री
माँ दुर्गा की नवीं शक्ति का नाम सिद्धिदात्री है। मार्कण्डेय पुराण में अणिमा, महिमा, गरिमा, लघिमा, प्राप्ति, प्राकाम्य, ईशित्व एवं वशित्व- ये आठ सिद्धियां बतलाई गई हैं। इन सिद्धियों को देने के कारण मां सिद्धिदात्री हैं।
माँ दुर्गा की नवीं शक्ति का नाम सिद्धिदात्री है। मार्कण्डेय पुराण में अणिमा, महिमा, गरिमा, लघिमा, प्राप्ति, प्राकाम्य, ईशित्व एवं वशित्व- ये आठ सिद्धियां बतलाई गई हैं। इन सिद्धियों को देने के कारण मां सिद्धिदात्री हैं। देवी पुराण के अनुसार भगवान शिव ने इन्हीं शक्तिस्वरूपा देवी की उपासना करके सिद्धियां प्राप्त की थीं, जिसके प्रभाव से उनका आधा शरीर स्त्री का हो गया था और वे अर्द्धनारीश्वर कहलाए।
मां सिद्धिदात्री सिंह वाहिनी चतुर्भुजा तथा सर्वदा प्रसन्नवदना हैं। उनका ध्यान हमारी शक्ति व सामर्थ्य को सृजनात्मक व कल्याणकारी कर्मो में प्रवृत्त करता है। प्रतिकूलता व विषमताओं में भी हमें धैर्य, साहस व उत्साह प्रदान कर कर्त्तव्य के पथ पर आगे बढ़ने की प्रेरणा प्रदान करता है। हमारे विकास में बाधक दुर्व्यसनों व दुष्प्रवृत्तियों को समाप्त कर हमारी चेतना को ऊर्ध्वगामी बनाता है। हमारे गुणों व विशेषताओं का संवर्धन हमें वास्तविक सुख, शांति व आनंद की अनुभूति कराता है। हमारी अनियंत्रित महत्वाकांक्षा, लोभ, अहंकार आदि दुर्गुणों पर नियंत्रण करने की शक्ति प्रदान कर हमें कर्मयोगी जीवन जीने की कला सिखाता है।
ध्यान मंत्र
सिद्धगन्धर्व यक्षाघैरसुरैरमरैरणि।
सेव्यमाना सदा भूयात् सिद्धि दा सिद्धिदायिनी॥
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