संतों के आश्रम में इंद्रदेव का पूजन
कुंभनगरी को बारिश के प्रकोप से बचाने के लिए शनिवार की रात्रि कुछ संतों के शिविर में इंद्रदेव की पूजा की गई। बरसात पर विराम लगाने के लिए कई संतों ने अनुष्ठान किया। सेक्टर नौ में स्वामी कैलाशानंद ब्रह्मचारी ने यज्ञ किया। उन्होंने कहा कि बारिश होना अच्छी बात है लेकिन ऐसी बारिश जो सबकुछ गड़बड़ कर दे उसको रोकने का उपाय करना चाहिए।
कुंभनगर। कुंभनगरी को बारिश के प्रकोप से बचाने के लिए शनिवार की रात्रि कुछ संतों के शिविर में इंद्रदेव की पूजा की गई। बरसात पर विराम लगाने के लिए कई संतों ने अनुष्ठान किया। सेक्टर नौ में स्वामी कैलाशानंद ब्रह्मचारी ने यज्ञ किया। उन्होंने कहा कि बारिश होना अच्छी बात है लेकिन ऐसी बारिश जो सबकुछ गड़बड़ कर दे उसको रोकने का उपाय करना चाहिए।
महंत नरेंद्र गिरि ने भी हुनमान जी की पूजा अर्चना करके प्रकृति के प्रकोप से सबको बचने की प्रार्थना की। स्वामी यतींद्रनंद गिरि ने भी हनुमान जी का पूजन किया।
* सभी संतों को मिलजुल कर इस परिस्थितियों से निकलने की जरूरत है। हम उनका कितना सहयोग कर सकते हैं, यह देखने की जरूरत है। -आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरि * ऐसी उम्मीद नहीं थी कि प्रकृति इतना कुपित हो जाएगी। कल्पवासियों की सबसे च्यादा चिंता है। अखाड़े तो वैसे भी जा रहे थे।-महामंडलेश्वर स्वामी कैलाशानंद * हनुमान जी से प्रार्थना की जा रही है। महाकुंभ में ऐसी बारिश पहले कभी नहीं हुई थी। सब कहीं न कहीं शरण लिए हुए हैं। -महामंडलेश्वर स्वामी यतीन्द्रानंद गिरि * प्रकृति से लड़ा नहीं जा सकता है। गंगा मैया की जो इच्छा होगी वही होगा। अब कोई क्या कर सकता है। -महंत हरि गिरि * प्रकृति के प्रकोप से कोई नहीं बचा है। वैसे किसी अनुष्ठान या बड़ा कार्य पूरा होने के बाद बारिश का होना शुभ माना जाता है लेकिन ऐसी तेज बरसात की उम्मीद नहीं की जाती है। -अनी अखाड़ों के प्रधानमंत्री माधवदास * प्रभु को जो मंजूर है वही हो रहा है। इसमें कोई कुछ नहीं कर सकता है। अब तो बारिश से कैसे बचा जाए यही उपाय हो रहा है। -महंत दुर्गादास
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