गंगा में शोधित जल का गिरना भी स्वीकार नहीं
परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानंद मुनी ने कहा है कि गंगा में प्रदूषित जल की तो बात छोडि़ए, शोधित जल की भी एक बूंद गिराया जाना स्वीकार नहीं है। संत समाज को गंगोत्री से गंगा सागर तक गंगा अविरल-निर्मल चाहिए।
वाराणसी। परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानंद मुनी ने कहा है कि गंगा में प्रदूषित जल की तो बात छोडि़ए, शोधित जल की भी एक बूंद गिराया जाना स्वीकार नहीं है। संत समाज को गंगोत्री से गंगा सागर तक गंगा अविरल-निर्मल चाहिए।
स्वामी चिदानंद मुनि ने बुधवार को शंकराचार्य घाट पर अविछिन्न गंगा सेवा अभियानम के सार्वभौम संयोजक स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद से वार्ता के दौरान ये बातें कहीं। उन्होंने गंगा अभियान और तपस्यारत संतों के स्वास्थ की जानकारी ली। कहा, गंगा की अविरलता के सवाल पर कोई समझौता नहीं किया जा सकता।
देखा जा रहा है कि तमाम चेतावनियों के बाद भी गंगा में नालों के पानी का गिरना नहीं रोका जा सका है। स्पष्ट किया कि गंगा में शोधित जल का गिराया जाना स्वीकार नहीं किया जा सकता। वजह, ट्रीटमेंट प्लांटों में हमारे तमाम भाई-बंधु काम कर रहे हैं। उन्हीं लोगों का कहना है कि थोड़े से पैसों के लालच में प्लांट नहीं चलाया जाता और पूरा का पूरा पानी बिना शोधित किए गंगा में गिरा दिया जाता है। स्वामी चिदानंद मुनी ने बताया कि सरकार आंदोलन को कमजोर करने के प्रयास में हैं लेकिन सरकार की इस योजना को सफल नहीं होने दिया जाएगा। गंगा अभियान को सफल बना कर दिखाना है।
वार्ता के दौरान शंकराचार्य घाट पर मौजूद इंडियन जस्टिस पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष उदित राज ने कहा कि पार्टी, संतों के साथ है और संतों की आवाज को किसी भी कीमत पर कमजोर नहीं होने देगी। श्री राज मंडलीय अस्पताल में तपस्यारत संतों से मिलने के बाद शंकराचार्य घाट पहुंचे थे। स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद से उन्होंने कहा कि सरकार कार्यबल को नहीं जनबल को महत्व देती है। कोई कितना ही विद्वान क्यों न हो अगर उसके पीछे जनबल नहीं है तो सरकार उसकी सही बातों को भी अनसुना कर देती है। भरोसा दिया कि 18 जून के दिल्ली कूच में पार्टी बढ़चढ़ कर हिस्सा लेगी और दिल्ली की सभा में वह भी पार्टी के हजारों कार्यकर्ताओं के साथ मौजूद रहेंगे।
इस मौके पर दिल्ली से आए हिंदू महासभा के अध्यक्ष स्वामी चक्त्रपाणि ने जनता में जोश जगाने की जरूरत पर बल दिया। बताया, जनता सरकार की चालों व नीतियों को बखूबी समझ रही है। समय रहते सरकार ने गंगा की अविरलता के लिए ठोस कदम नहीं उठाए तो इसका परिणाम उसे भुगतना ही होगा। इसके पूर्व स्वामी चक्त्रपाणि मंडलीय अस्पताल भी गए और तपस्वियों से मिले। उन्हें भरोसा दिया कि उनकी तपस्या विफल नहीं होगी। जल्द ही इसके सार्थक परिणाम सामने आएंगे।
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