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पर्थ में भी हारा भारत, टेस्ट सीरीज भी गंवाई

भारत का विदेशी धरती पर शर्मनाक प्रदर्शन जारी है और पर्थ के वाका पर तेज गेंदबाजों के आगे दिग्गज बल्लेबाजों ने ढाई दिन में ही आत्मसमर्पण कर दिया। तीसरे दिन लंच के तुरंत बाद सिर्फ आठ गेंदों में चार विकेट खो देने से भारत न सिर्फ तीसरा टेस्ट मैच एक पारी और 37 रन हार गया बल्कि सीरीज भी 0-3 से गंवा दिया।

By Edited By: Published: Sun, 15 Jan 2012 02:49 PM (IST)Updated: Sun, 15 Jan 2012 02:49 PM (IST)
पर्थ में भी हारा भारत, टेस्ट सीरीज भी गंवाई

पर्थ। भारत का विदेशी धरती पर शर्मनाक प्रदर्शन जारी है और पर्थ के वाका पर तेज गेंदबाजों के आगे दिग्गज बल्लेबाजों ने ढाई दिन में ही आत्मसमर्पण कर दिया। तीसरे दिन लंच के तुरंत बाद सिर्फ आठ गेंदों में चार विकेट खो देने से भारत न सिर्फ तीसरा टेस्ट मैच एक पारी और 37 रन हार गया बल्कि सीरीज भी 0-3 से गंवा दिया।

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सीरीज में अब तक असफल रहे विराट कोहली ने 75 रन [136 गेंद, 9 चौका] की साहसिक पारी खेली लेकिन दुनिया भर के मैदानों पर रनों का अंबार लगाने वाले बूढे़ शेर ढाई कोस भी नहीं चल पाए। भारत को पारी की हार से बचने के लिए 208 रन की जरूरत थी लेकिन उसकी टीम 171 रन पर ढेर हो गई। भारत के आखिरी चार विकेट तो आठ गेंद के अंदर गिरे और इस बीच स्कोर में कोई रन भी नहीं जुड़ा। लेकिन इस शर्मनाक हार के दोषी कप्तान महेंद्र सिंह धौनी और शीर्ष क्रम के बल्लेबाज रहे जिसमें सचिन तेंदुलकर, राहुल द्रविड़, वीवीएस लक्ष्मण और वीरेंद्र सहवाग जैसे दिग्गज नाम शामिल हैं। सचिन समेत भारत के छह बल्लेबाज दूसरी पारी में दहाई का आंकड़ा नहीं छू सके। इंग्लैंड में 4-0 से हारने वाली भारतीय टीम की विदेशी धरती पर यह लगातार सातवीं हार है।

आस्ट्रेलिया ने मेलबर्न और सिडनी में पहले दो मैच चौथे दिन जीता था लेकिन पर्थ में वह एक तरह से सात सत्र यानी ढाई दिन में ही जीत दर्ज कर गया क्योंकि आज लंच के बाद भारतीय टीम केवल 20 गेंद खेल पाई। बेन हिलफेनहास ने एक ओवर में तीन विकेट सहित कुल 54 रन देकर चार विकेट लिए जबकि पीटर सिडल ने 43 रन देकर तीन, मिशेल स्टार्क ने 31 रन देकर दो और रेयान हैरिस ने 34 रन देकर एक विकेट लिया। भारत की पहले दिन ही हार तय हो गई थी जब उसकी टीम 161 रन पर सिमट गई। डेविड वार्नर [180] और एड कोवान [74] के बीच पहले विकेट के लिए 214 रन की साझेदारी के बावजूद आस्ट्रेलिया को 369 रन रोककर उमेश यादव [5/93] की अगुवाई में भारतीय गेंदबाजों ने अच्छा प्रदर्शन किया लेकिन बल्लेबाज फिर से सब कुछ मटियामेट कर गए। पर्थ में मिली हार भारत की विदेशी धरती पर लगातार सातवीं हार है। यह पिछले 42 साल में पहला मौका है जबकि भारत ने विदेश में लगातार सात मैच गंवाए। इस सीरीज में सिडनी के बाद दूसरी बार भारत को पारी से हार का सामना करना पड़ा। चौथा और अंतिम टेस्ट मैच 24 जनवरी से एडिलेड में खेला जाएगा। भारत पर अब पिछले साल इंग्लैंछ दौरे की तरह 4-0 से व्हाइटवाश का खतरा मंडरा रहा है।

भारत ने सुबह चार विकेट पर 88 रन से आगे खेलना शुरू किया था लेकिन उसने बाकी छह विकेट 135 मिनट के अंदर गंवा दिए। लंच के समय भारत का स्कोर छह विकेट पर 165 रन था। पहले दो ओवरों में पुछल्ले बल्लेबाजों के आत्मसमर्पण का कोई संकेत नहीं मिला लेकिन पारी के 63वें और हिलफेनहास के 18वें ओवर में भारत की जल्द हार तय हो गई। हिलफेनहास ने इस ओवर में तीन विकेट लिए। विनय कुमार [6] ने उनकी गेंद स्लैश करने की कोशिश की लेकिन वह उनके बल्ले का किनारा लेकर पहली स्लिप में माइकल क्लार्क के पास पहुंच गई। जहीर खान [0] पहली गेंद पर आउट हो गए। हिलफेनहास की शार्ट पिच गेंद पर जहीर ने अपना बल्ला उठा दिया लेकिन गेंद ने बल्ले का किनारा ले लिया। ब्रैड हैडिन ने हवा में उछलकर उसे लपकना चाहा जिसमें वह नाकाम रहे लेकिन पिछले क्लार्क सतर्क थे और उन्होंने लगातार दूसरा कैच लिया। ईशांत शर्मा [0] ने हैट्रिक तो बचाई लेकिन दो गेंद बाद ही उन्होंने फारवर्ड शार्ट लेग पर खड़े एड कोवान को कैच दे दिया। अंतिम बल्लेबाज उमेश ने ओवर की आखिरी गेंद मिड आन पर खेली लेकिन कोहली ने उन्हें रन लेने से रोक दिया ताकि वह दूसरे छोर से तेजी से रन बना सकें। ऐसा नहीं हुआ और सिडल की दूसरी गेंद ही कोहली के बल्ले का किनारा लेकर हैडिन के दस्तानों में समा गई। इसके साथ ही आस्ट्रेलियाई जश्न में डूब गए। कोहली 191 मिनट तक क्रीज पर रहे। इस बीच उन्होंने 136 गेंद खेली तथा नौ चौके लगाए। उन्होंने प्रभावशाली बल्लेबाजी की तथा अपना तीसरा अर्धशतक जमाया। उन्होंने विषम परिस्थितियों में क्रीज पर टिके रहने की प्रतिबद्धता दिखाई जो इस मैच में भारतीय बल्लेबाजी के लिए एकमात्र सकारात्मक पहलू रहा।

भारत ने सुबह चार विकेट पर 88 रन से आगे खेलना शुरू किया तथा सुबह के सत्र में द्रविड़ [47] और कप्तान धौनी [2] के विकेट गंवाए। द्रविड़ सीरीज में पांचवीं बार बोल्ड होकर पवेलियन लौटे। हैरिस की फुललेंथ गेंद पर द्रविड़ ने फिर से न तो आगे बढ़ने और ना ही पीछे जाने का रणनीति अपनाई लेकिन वह गच्चा खा गए और आखिरी क्षणों में फ्लिक करने की कोशिश के बावजूद उनका लेग स्टंप थरथर्रा गया। उन्होंने 177 मिनट बल्लेबाजी की तथा इस बीच 114 गेंद खेलकर आठ चौके लगाए। बीच में एक समय ऐसा भी आया जब उन्होंने 41 रन से आगे बढ़ने के लिए 30 गेंद का सामना किया। द्रविड़ और कोहली ने लगभग 30 ओवर में 86 रन की साझेदारी की।

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