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आखिर मान गए प्रयागवाल आधे पर हो गया समझौता

तीन दिन के बाद प्रयागवाल सभा के पदाधिकारियों को जूस पिलाकर उनका अनशन तोड़वाया गया। इस दौरान एक अनशनकारी की हालत इस कदर खराब हुई कि उन्हें मेला के एक अस्पताल में इलाज के लिए भर्ती कराया गया।

By Edited By: Published: Sat, 22 Dec 2012 11:50 AM (IST)Updated: Sat, 22 Dec 2012 11:50 AM (IST)
आखिर मान गए प्रयागवाल आधे पर हो गया समझौता

इलाहाबाद। तीन दिन के बाद प्रयागवाल सभा के पदाधिकारियों को जूस पिलाकर उनका अनशन तोड़वाया गया। इस दौरान एक अनशनकारी की हालत इस कदर खराब हुई कि उन्हें मेला के एक अस्पताल में इलाज के लिए भर्ती कराया गया। इतने के बावजूद प्रयागवाल को अपनी मांग के आधे पर समझौता करना पड़ा।

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प्रयागवाल को कुंभ में साढ़े नौ सौ बीघे जमीन आवंटित होनी थी। लेकिन जमीन आवंटन का खेल ऐसा चला कि प्रयागवाल को संगम के किनारे जमीन नहीं मिली। वहां अखाड़े बसा दिए गए। यहीं से प्रयागवाल ने विरोध जताना शुरू किया। जब बार-बार कहने पर भी मेला प्रशासन पर जूं नहीं रेंगी, तो प्रयागवाल के तीन पदाधिकारियों को अनशन पर बैठना पड़ा। तीसरे दिन यानी शुक्त्रवार को मेला प्रशासन के कैंप कार्यालय में अनशन पर बैठे सत्तर वर्षीय रमेश चंद्र मिश्र की हालत खराब हो गई। मेला प्रशासन को लगा कि मामला गंभीर हो सकता है। आनन-फानन में तीनों पदाधिकारियों को जूस पिला अनशन तुड़वाया गया। प्रयागवाल सभा के अध्यक्ष अजय पांडेय का कहना है कि उन्हें जमीन तो मेला प्रशासन ने आवंटित कर दी, लेकिन वह संगम से काफी दूर है। हालांकि प्रशासन ने गंगा के किनारे ही उन्हें जमीन आवंटित की है। इस बार प्रयागवाल के लिए सेक्टर सात में दो सौ बीघे जमीन आवंटित की गई है, जो संगम से करीब सात किलोमीटर दूर है। सेक्टर आठ में 260 बीघे जमीन आवंटित की गई, जो संगम से छह किलोमीटर दूर है। सेक्टर आठ में जो जमीन मिली भी है, वह गंगा तट से काफी दूर है। यह जमीन दंडी स्वामियों के पीछे दी गई है। एडीएम मेला जितेन्द्र कुमार का कहना था कि कुछ कमियां रह गई थीं, जिसे दूर कर दिया गया है।

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