गंगा दूषित करने वाले विषधरों को नाथना होगा
गंगा में गिर रहे नाले कालिया नाग के सहस्त्र फणों की तरह हैं लिहाजा इन विषधरों को नाथना होगा तभी निर्मल गंगा का सपना साकार हो सकेगा।
वाराणसी। गंगा में गिर रहे नाले कालिया नाग के सहस्त्र फणों की तरह हैं लिहाजा इन विषधरों को नाथना होगा तभी निर्मल गंगा का सपना साकार हो सकेगा।
यह विचार हैं कथाकार डॉ. नीरजा माधव के। वह सोमवार को भारतीय जन जागरण समिति की ओर से लालबहादुर शास्त्री जी की स्मृति में पराड़कर भवन में आयोजित अविरल गंगा चिंतन गोष्ठी को बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रही थीं। उन्होंने गंगा को ब्रंाद्रवा के रूप में भगवान श्रीकृष्ण से जोड़ा। कहा, यमुना की तरह गंगा को भी अनगिनत नाले दूषित-प्रदूषित बना रहे हैं। याद दिलाया कि प्रति वर्ष हम गंगा के किनारे नागनथैया की लीला करते हैं। इसके प्रतीक को हमें समझना होगा। विशिष्ट अतिथि के रूप में स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने चेताया कि यदि हम सब मिलकर गंगा की अविरलता के प्रति गंभीर न हुए तो आगे हमें इसके गंभीर नतीजे भुगतने होंगे। गंगा महज नदी नहीं बल्कि आदि वैदिक, आदि भौतिक और आध्यात्म की धरातल हैं। यह हम सब जानते हैं और महसूस भी करते हैं। इसके बावजूद गंगा बेहद उपेक्षित हैं। सरकार गंगा की प्राण रक्षा के लिए कोई कदम नहीं उठा रही है।
इस बारे में हम सब को मिल कर सोचना और सरकार को सोचने के लिए दबाव बनाना होगा। इस मौके पर समिति की ओर से स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद को 37 लोगों की सूची दी गई और विश्वास दिलाया कि ये सभी अभियानम् के साथ कदम से कदम मिल कर गंगा की अविरलता के लिए संघर्ष करेंगे और प्रत्येक सोमवार को उपवास भी रखेंगे। इस मौके पर हरि भइया ने गंगा आधारित एक सुंदर गीत भी सुनाया।
गोष्ठी को दैनिक जागरण के वरिष्ठ समाचार संपादक आशुतोष शुक्ल, प्रो. जीसी चौधरी, डॉ. लवकुश द्विवेदी, डॉ. जितेंद्रनाथ मिश्र, डॉ. सविता भारद्वाज, पं. श्रीकृष्ण तिवारी, हरेराम द्विवेदी, नरेंद्रनाथ मिश्र, डॉ. बाबूराम त्रिपाठी, सुमन जायसवाल, रोहित श्रीवास्तव, शैलेंद्र कुमार, महेंद्र नारायण, आशीष श्रीवास्तव आदि ने भी संबोधित किया। संचालन डॉ. बेनी माधव ने किया।
मोबाइल पर ताजा खबरें, फोटो, वीडियो व लाइव स्कोर देखने के लिए जाएं m.jagran.com पर