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भोले की पूजा-अर्चना के नाम फाल्गुन

माघ माह समापन के नजदीक है। सात फरवरी को माघ महीना संपन्न हो जाएगा और शुरू होगा फाल्गुन महीना। उल्लास एवं उमंग से भरा फाल्गुन महीना भोलेनाथ की पूजा-अर्चना को समर्पित होता है।

By Edited By: Published: Tue, 07 Feb 2012 09:54 PM (IST)Updated: Tue, 07 Feb 2012 09:54 PM (IST)

हरिद्वार, जागरण प्रतिनिधि। माघ माह समापन के नजदीक है। सात फरवरी को माघ महीना संपन्न हो जाएगा और शुरू होगा फाल्गुन महीना। उल्लास एवं उमंग से भरा फाल्गुन महीना भोलेनाथ की पूजा-अर्चना को समर्पित होता है।

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फाल्गुन महीने में प्रकृति भी नूतन रूप में नजर आने लगती है। इस समय बसंत दस्तक दे चुका होता है। इसके साथ ही मानव जीवन में भी नई ऊर्जा का संचार होता रहता है। फाल्गुन महीने में ठंड का असर भी कम होने लगता है। इसी उल्लास एवं उमंग के साथ फाल्गुन महीने में फाल्गुनी कांवड़ यात्रा का रंग भी घुलता है। यह कांवड़ यात्रा कृष्ण पक्ष प्रतिपदा से शुरू होती है और फिर शिव रात्रि में होता है शिवालयों में जलाभिषेक। इसके अलावा अमावस्या और पूर्णिमा स्नान पर्व को श्रद्धालु गंगा स्नान करते हैं। शास्त्रों के अनुसार फाल्गुन महीने की उत्पत्ति उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र से हुई है।

एक और मान्यता के अनुसार फाल्गुन महीने की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को ही भगवान शिव शंकर और सती का विवाह हरिद्वार के कनखल में ही हुआ था। इसलिए धर्मनगरी में फाल्गुन महीने का अलग ही महत्व है। ज्योतिषाचार्य विपिन कुमार पाराशर बताते हैं कि सावन और फाल्गुन दो ही ऐसे महीने हैं, जो भगवान शिव शंकर की पूजा-अर्चना के नाम होते हैं। उन्होंने बताया कि इन दोनों महीनों में भगवान भोले नाथ की पूजा करने से समस्त मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं।

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