धर्मराज! न आना मेरे द्वार, मैं डाल रहा हथियार
छोटी दीपावली मतलब नरक चतुर्दशी। सोमवार को विश्रामघाट पर स्थित भगवान श्रीकृष्ण की पटरानी यमुना और उनके भाई यमराज (धर्मराज) के इकलौते मंदिर में देश-विदेश के श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ेगी। श्रद्धालु चाकू और लोहे का दीप दानकर यमराज से मोक्ष प्राप्ति की कामना करेंगे।
मथुरा, जागरण संवाददाता। छोटी दीपावली मतलब नरक चतुर्दशी। सोमवार को विश्रामघाट पर स्थित भगवान श्रीकृष्ण की पटरानी यमुना और उनके भाई यमराज (धर्मराज) के इकलौते मंदिर में देश-विदेश के श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ेगी। श्रद्धालु चाकू और लोहे का दीप दानकर यमराज से मोक्ष प्राप्ति की कामना करेंगे।
यमुना और यमराज के इस मंदिर का नरक चतुर्दशी और भाई दूज के दिन विशेष महत्व है। नरक चतुर्दशी के दिन श्रद्धालु यहां चाकू भी चढ़ाते हैं। बकौल महंत शैलेंद्र चतुर्वेदी, चाकू दान करने के पीछे धारणा हथियार डालने की है। श्रद्धालु यमराज जी से याचना करते हैं, हम तुम्हारे द्वार पर आ गए, मेरे द्वार पर असमय मत आना। मृत्यु उपरांत भी परेशान मत करना। अब से हमारे घरों में यमराज का पहरा समाप्त होकर धर्म का पहरा रहे। अधिकतर श्रद्धालु काला कपड़ा, सात अनाज और भेंट भी चढ़ाते हैं। नरक चतुर्दशी को क्या करें
मनुष्यों को चंद्रोदय के समय स्नान कर शुद्ध वस्त्र धारण करना चाहिए। इस दिन प्रात:काल तेल मालिश कर स्नान करने और रूप संवारने वाले को भी यमलोक के दर्शन नहीं करने पड़ते हैं। नरकासुर की स्मृति में चार दीपक भी जलाने चाहिए। धनतेरस पर भी धर्मराज का आह्वान
धनतेरस पर्व पर भी बिहार, पूर्वी उत्तर प्रदेश समेत अन्य दूरदराज स्थानों से आए अधिकतर श्रद्धालुओं ने रविवार शाम को धर्मराज के मंदिर में दीपक जलाकर उनका आह्वान किया। रंगेश्वर, भूतेश्वर, गोकर्णनाथ मंदिर आदि शिव मंदिरों में भी श्रद्धालुओं ने महादेव की पूजा की। रविवार को धनतेरस और प्रदोष पर्व का खास संयोग था। यमुना में लगी डुबकी
प्रदूषण की वजह से यमुना का पानी भले ही दूषित होकर काला पड़ गया हो, लेकिन श्रद्धालुओं को इसकी परवाह नहीं। धनतेरस पर जमकर इसी गंदे पानी में डुबकी लगाई गई। इस बीच यमुना बचाने को आंदोलनरत बादाम चतुर्वेदी ने यमुना प्रदूषण का मसला उठाते हुए जिला प्रशासन से यमुना में गिरने वाले नालों को बंद कराने की मांग की है।
नरक चतुर्दशी आज
हल्द्वानी। पंच पर्व में धनतेरस के अगले दिन नरक चतुर्दशी पड़ती है। यह पर्व सोमवार को है। इसमें सूर्योदय से पूर्व उठकर तेल मालिश करके स्नानकरने का विधान है। सनत्कुमार संहिता एवं धर्म सिंधु ग्रंथ के अनुसार नरक चतुदर्शी के दिन जो सूर्योदय के बाद स्नान करता है, उसके अशुभ कर्मो का नाश हो जाता है। स्कंद पुराण के अनुसार इस दिन प्रात:काल स्नान करने वाले को यमलोक नहीं देखना पड़ता। नरक चतुर्दशी की रात्रि मंत्रजप को वरदान स्वरूप बताया गया है। लक्ष्मी जी की प्रसन्नता के लिए काली चौदस की रात्रि लक्ष्मी मंत्र या गुरुमंत्र का जप करना चाहिए।
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