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आस्ट्रेलियाई मीडिया की नजर में फ्लेचर ढोंगी

मेलबर्न। भारत के अंपायर के फैसले की समीक्षा प्रणाली [यूडीआरएस] लागू करने से इंकार करने के कारण पहले टेस्ट में कुछ फैसले आस्ट्रेलियाई क्रिकेट टीम के खिलाफ जाने के बाद स्थानीय मीडिया ने मेहमान टीम के कोच डंकन फ्लेचर पर निशाना साधते हुए उन्हें ढोंगी करार दिया, क्योंकि वह अतीत में यूडीआरएस का समर्थन कर चुके हैं।

By Edited By: Published: Mon, 26 Dec 2011 06:12 PM (IST)Updated: Mon, 26 Dec 2011 06:12 PM (IST)

मेलबर्न। भारत के अंपायर के फैसले की समीक्षा प्रणाली [यूडीआरएस] लागू करने से इंकार करने के कारण पहले टेस्ट में कुछ फैसले आस्ट्रेलियाई क्रिकेट टीम के खिलाफ जाने के बाद स्थानीय मीडिया ने मेहमान टीम के कोच डंकन फ्लेचर पर निशाना साधते हुए उन्हें ढोंगी करार दिया, क्योंकि वह अतीत में यूडीआरएस का समर्थन कर चुके हैं।

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माइक हस्सी [00] और एड कोवान [68] के सोमवार को संदेहास्पद फैसलों का शिकार होने के बाद आस्ट्रेलिया ने पहले दिन छह विकेट पर 277 रन बनाए। भारत के यूडीआरएस से इंकार करने से इन फैसलों के लिए रेफरल की व्यवस्था नहीं थी और ऐसे में इंग्लैंड के कोच होने के दौरान यूडीआरएस के समर्थक रहे फ्लेचर को मीडिया की नाराजगी का शिकार होना पड़ा। द हेराल्ड सन ने लिखा, डंकन फ्लेचर को ढोंगी नापसंद हैं। भारतीय कोच को निश्चित तौर पर खुद को आइने में देखने पर परेशानी हो रही होगी। एक दशक से भी अधिक समय से फ्लेचर अंपायरिंग फैसलों में सुधार के लिए तकनीक के इस्तेमाल के समर्थक रहे हैं। फ्लेचर ने अपनी किताब बिहाइंट द शेड्स में लिखा था कि वह हैरान थे जब ईसीबी ने 2007 में इंग्लिश काउंटी में यूडीआरएस के ट्रायल के दौरान उनसे सलाह मशविरा नहीं किया। मौजूदा भारतीय कोच ने लिखा, रेफरल प्रणाली लागू करने ने ही असल में मेरे इंग्लैंड का पद छोड़ने में अहम भूमिका निभाई। उन्होंने कहा, मुझे पहले ही अहसास हो रहा था कि ईसीबी 2007 में विश्व कप के दौरान मुझे कोई सहयोग नहीं दे रहा लेकिन मैं इससे काफी निराश हुआ कि किसी ने भी इस प्रणाली के बारे में मुझसे बात नहीं की। आखिर यह मेरा विचार था और 1995 में जब मैंने पहली बार वेस्टर्न प्रोविन्स में इस बारे में सोचा तब से कुछ नहीं बदला। भारत इस प्रणाली का धुर विरोधी रहा है और क्रिकेट आस्ट्रेलिया के इसके पक्ष में होने के बावजूद उसने यूडीआरएस के इस्तेमाल पर सहमति नहीं जताई। आईसीसी के नियमों के मुताबिक दोनों बोर्डों के राजी होने पर ही द्विपक्षीय सीरीज में इस प्रणाली का इस्तेमाल किया जा सकता है।

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