महामंडलेश्वरों का महासंख्याबल
अखाड़ों में महामंडलेश्वरों की संख्या में जबर्दस्त इजाफा हुआ है। मात्र छह वर्ष में यह आंकड़ा तीन गुना से ज्यादा हो गया है। तेरह अखाड़ों के महामंडलेश्वरों की संख्या में हुए इस जोरदार इजाफे ने मेला प्रशासन को मुसीबत में डाल दिया है। अखाड़ों की तमाम दलील के बाद भी मेला प्रशासन ने बढ़े हुए महामंडलेश्वरों के लिए अतिरिक्त जमीन न देने का फैसला कर लिया है। इसके चलते इस बार कुंभ मेला में महामंडलेश्वरों की विशाल अट्टालिकाएं दिखने की उम्मीद काफी कम हो गई है।
इलाहाबाद, [आशुतोष तिवारी]। अखाड़ों में महामंडलेश्वरों की संख्या में जबर्दस्त इजाफा हुआ है। मात्र छह वर्ष में यह आंकड़ा तीन गुना से ज्यादा हो गया है। तेरह अखाड़ों के महामंडलेश्वरों की संख्या में हुए इस जोरदार इजाफे ने मेला प्रशासन को मुसीबत में डाल दिया है। अखाड़ों की तमाम दलील के बाद भी मेला प्रशासन ने बढ़े हुए महामंडलेश्वरों के लिए अतिरिक्त जमीन न देने का फैसला कर लिया है। इसके चलते इस बार कुंभ मेला में महामंडलेश्वरों की विशाल अट्टालिकाएं दिखने की उम्मीद काफी कम हो गई है।
वर्ष 2000-01 के कुंभ में तेरह अखाड़ों के महामंडलेश्वरों की संख्या 95 थी। वर्ष 2007 के अर्द्धकुंभ में इनकी संख्या बढ़कर 125 हो गई और वर्ष 2013 के कुंभ में महामंडलेश्वरों की संख्या 327 तक पहुंच गई। मेला प्रशासन ने तेरह अखाड़ों को बसाने के लिए कुंभ क्षेत्र के सेक्टर चार में 75 बीघे जमीन आवंटित कर दी। यहां तक तो अखाड़े संतुष्ट थे, लेकिन अपने महामंडलेश्वरों के महलों के बसाने में मेला प्रशासन द्वारा पढ़े जा रहे पहाड़े से वे खासे असंतुष्ट हैं। उनका मानना है कि महामंडलेश्वरों की संख्या बढ़ी है, तो जमीन में इजाफा करना चाहिए। वहीं प्रशासन का अपना तर्क है। वर्ष 2006-07 में 125 महामंडलेश्वरों को 35 बीघे जमीन आवंटित की गई थी। इस बार भी 35 बीघे ही जमीन उन्हें मिलेगी, भले ही उनकी संख्या बढ़कर 327 तक क्यों न हो गई हो। मेला क्षेत्र के उत्तरी और दक्षिणी दिशा में अखाड़ों के महामंडलेश्वरों के महल बसाने के लिए इससे ज्यादा जमीन नहीं उपलब्ध कराई जा सकती।
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