कग्यूर धर्मग्रंथ के साथ किया परिक्रमा
विश्व शांति के निमित 17 वें करमापा उज्ञेन त्रिनले दोरजे द्वारा गत 21 दिसम्बर से बोधगया में 30 वां काग्यू मोनलम पूजा संचालित है। छठे दिन का काग्यू मोनलम पूजा विश्र्र्वदाय धरोहर महाबोधि मंदिर में संचालित हुआ।
बोधगया [गया]। विश्व शांति के निमित 17 वें करमापा उज्ञेन त्रिनले दोरजे द्वारा गत 21 दिसम्बर से बोधगया में 30 वां काग्यू मोनलम पूजा संचालित है। छठे दिन का काग्यू मोनलम पूजा विश्र्र्वदाय धरोहर महाबोधि मंदिर में संचालित हुआ।
इसके पूर्व पांच दिनों तक पूजा का संचालन तेरगा मोनास्ट्री के समीप बने भव्य पंडाल में किया जा रहा था। पूजा का संचालन करने महाबोधि मंदिर पहुंचे करमापा की आगवानी उनके अनुयायियों ने पारंपरिक वाद्ययंत्र वादन कर किया। उसके बाद करमापा मंदिर के गर्भगृह में जाकर भगवान बुद्ध के प्रतिमा पर चीवर चढ़ाया और उसके बाद पूजा आयोजन स्थल पवित्र बोधिवृक्ष की छांव में बने अपने आसन पर विराजमान हुए। पूजा के प्रारंभिक चरण में औषधीय बुद्ध के रूप की प्रार्थना की। उसके बाद काग्यू पंथ के धर्मग्रंथ कग्यूर लेकर मंदिर की परिक्रमा किया। और उनका अनुसरण अन्य वरीय लामाओं ने कतारबद्ध होकर किया। करमापा के पूर्व सचिव गेम्पो छेरिंग ने बताया कि कग्यूर ग्रंथ में भगवान बुद्ध का उपदेश निहित है। धर्मगुरु करमापा ने कग्यूर ग्रंथ पर प्रकाश डालते हुए कहा कि अज्ञानतावश लोग इसका अध्ययन नहीं कर पाते हैं। इसे गंभीरता से ले और अध्ययन करें। क्यों कि भगवान बुद्ध के उपदेश को कग्यूर ग्रंथ में समाहित करने के लिए बहुत से भारतीय व तिब्बती विद्वानों ने जाप-ताप और परिक्षण किया है। करमापा ने कहा कि हम उनके प्रति कृतज्ञ हैं। क्योंकि हमे भी कग्यूर धर्मग्रंथ के बारे में बताने का मौका मिला है।
उन्होंने कहा कि गुरुवार को धर्मगुरु के नेतृत्व में भिक्षाटन परंपरा की पूर्णावृत्ति होगी और संध्या बेला में तेरगा मोनास्ट्री में अक्षोभ्य पूजा किया जाएगा।
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