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शिकागो के गुरुद्वारा गुरजोत प्रकाश में रिसीवर नियुक्त

अमेरिका के शिकागो स्थित गुरुद्वारा गुरजोत प्रकाश का प्रबंध अब रिसीवर देखेंगे। अमेरिका की एक अदालत ने 29 जून को इस गुरुद्वारे के प्रबंध के लिए एक रिसीवर नियुक्त कर दिया है। अदालत ने गुरुद्वारा संचालक बाबा दलजीत सिंह का पासपोर्ट भी रख लिया है। अदालत ने आठ मई को गुरु नानक सिख मिशन को भंग करते हुए आदेश दिए थे कि इस संस्था की गतिविधियां गैर कानूनी हैं। अदालत के आदेशानुसार गुरु नानक सिख मिशन की जायदाद पर मिशन के किसी भी अधिकारी का कोई अधिकार नहीं है। इस जायदाद को कोई छेड़ नहीं सकता। 27 जुलाई को इस पूरे मामले पर अंतिम निर्णय किया जाएगा।

By Edited By: Published: Sun, 01 Jul 2012 03:15 PM (IST)Updated: Sun, 01 Jul 2012 03:15 PM (IST)

अमृतसर, [अशोक नीर]। अमेरिका के शिकागो स्थित गुरुद्वारा गुरजोत प्रकाश का प्रबंध अब रिसीवर देखेंगे। अमेरिका की एक अदालत ने 29 जून को इस गुरुद्वारे के प्रबंध के लिए एक रिसीवर नियुक्त कर दिया है। अदालत ने गुरुद्वारा संचालक बाबा दलजीत सिंह का पासपोर्ट भी रख लिया है। अदालत ने आठ मई को गुरु नानक सिख मिशन को भंग करते हुए आदेश दिए थे कि इस संस्था की गतिविधियां गैर कानूनी हैं। अदालत के आदेशानुसार गुरु नानक सिख मिशन की जायदाद पर मिशन के किसी भी अधिकारी का कोई अधिकार नहीं है। इस जायदाद को कोई छेड़ नहीं सकता। 27 जुलाई को इस पूरे मामले पर अंतिम निर्णय किया जाएगा।

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इस केस की पैरवी करने वाली बीबी हरमिंदर सिंह खैरा ने दैनिक जागरण को टेलीफोन पर बताया कि गुरुद्वारा गुरजोत प्रकाश बिल्डिंग की कीमत 27 जुलाई से पहले निश्चित की जाएगी। याद रहे कि बाबा दलजीत सिंह ने खैरा परिवार पर दोष लगाया था कि उन्होंने शराब पीकर गुरुद्वारे के भीतर हुल्लड़बाजी की है। खैरा परिवार पहले बाबा दलजीत सिंह के बहुत ही निकट था। बाबा दलजीत सिंह के यहां ही तख्त साहिबान के सिंह साहिबान ठहरते थे। बाबा दलजीत सिंह ने इस संदर्भ में श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार के आगे भी शिकायत की थी। अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार ने इस संदर्भ में खैरा परिवार से स्पष्टीकरण मांगा था।

इस संदर्भ में जब अमेरिका सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के कोआर्डीनेटर प्रितपाल सिंह से बातचीत की गई तो उन्होंने कहा कि किसी भी गुरुद्वारा साहिबान में रिसीवर बैठना दुर्भाग्यपूर्ण है। संगत को अपने झगडे़ स्वयं निपटाने चाहिए। उन्होंने जानकारी दी कि अमेरिका में गुरुद्वारे कारपोरेट लॉ के अंतर्गत आते हैं। जब भी गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटियों में झगड़े होते हैं तो उनके ही द्वारा बनाए गए कानून समस्या का हल नहीं निकालते हैं। तब रिसीवर की नियुक्ति होती है।

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