प्रभु की भक्ति में सबसे बड़ी बाधा है गृह शक्ति
अनादी काल से मन को चिंतन करने की आदत पड़ी हुई है, मन श्री कृष्ण कथा का चिंतन करे, कान श्रवण करें, तो विषय चिंतन करने की आदत छूट जाएगी। आचार्य शिव प्रसाद मंमगाई ने गृह शाक्ति को भक्ति में सबसे बड़ी बाधा बताया।
उत्तरकाशी। अनादी काल से मन को चिंतन करने की आदत पड़ी हुई है, मन श्री कृष्ण कथा का चिंतन करे, कान श्रवण करें, तो विषय चिंतन करने की आदत छूट जाएगी। आचार्य शिव प्रसाद मंमगाई ने गृह शाक्ति को भक्ति में सबसे बड़ी बाधा बताया।
व्यास पीठ पर विराजमान आचार्य शिव प्रसाद मंमगाई ने राजा रघुनाथ स्थली ग्राम कंडारी में गुंजवाड़ा बंधुओं द्वारा सदर स्याणा स्व.श्रीचंद्र गौड़ एवं दिवांगत प्रीति जनों की मुक्ति कामना के लिए आहूत श्री भगवात कथा में प्रभु की लीला का श्रवण किया। उन्होंने कहा कि सौंदर्य सिर्फ कल्पना है, जो तुम्हें सुंदर लगे वह प्रभु को नहीं लगता। सौंदर्य संसार में नहीं बल्कि नेत्रों में होना चाहिए। संसार की मोहिनी विषयों को मोह जब छूटता है, तभी जीव का उधार होता है। उन्होंने कथा में आए भक्तों को भागवत का रसपान कराते हुए कहा कि यदि संपत्ति आए तो उसका सद्पयोग परोपकार में करना चाहिए। संतोष न होने से मनुष्य पाप करता है, कीर्ति एवं प्रतिष्ठा में उलझने वाले को सुख का अमृत नहीं मिलता। लक्ष्मी का जब मोह छूटता है, तो तब भजन शुरू होता है। इस मौके पर पूर्व कबिना मंत्री खजान दास, जिला पंचायत अध्यक्ष नारायण सिंह चौहान, मोहन सिंह रावत, जोत सिंह बिष्ट, प्रभावति गौड, गजेंद्र दत्त गौड़, राजेंद्र गौड़, लोकेंद्र, वीरेंद्र दत्त, उपेंद्र गौड़ आदि समेत भारी संख्या में ग्रामीण मौजूद रहे।
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