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संगम के जरिए इलाहाबाद की धार्मिक-आध्यात्मिक पहचान

इलाहाबाद यानी संगम। विश्व में संगम के जरिए इलाहाबाद की धार्मिक-आध्यात्मिक पहचान है। तीर्थो का राजा होने के नाते इसे तीर्थराज प्रयाग कहा ही जाता है।

By Edited By: Published: Mon, 08 Oct 2012 11:41 AM (IST)Updated: Mon, 08 Oct 2012 11:41 AM (IST)
संगम के जरिए इलाहाबाद की धार्मिक-आध्यात्मिक पहचान

इलाहाबाद। इलाहाबाद यानी संगम। विश्व में संगम के जरिए इलाहाबाद की धार्मिक-आध्यात्मिक पहचान है। तीर्थो का राजा होने के नाते इसे तीर्थराज प्रयाग कहा ही जाता है। इलाहाबाद की यही महत्ता यहां माघ मेला, अर्ध कुंभ व कुंभ जैसे वृहद आयोजन कराती है। इससे इतर देखें, तो प्रयाग न सिर्फ भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की धुरी रहा है, बल्कि यहां पौराणिक महत्व के कई अन्य धार्मिक स्थल भी हैं। कला-संस्कृति की नगरी व राजनीति की नर्सरी की उपमा इसकी ख्याति में चार चांद लगाती है। पर संगम आने वाले श्रद्धालु गंगा, यमुना, सरस्वती की त्रिवेणी में डुबकी लगाकर अपने घर लौट जाते हैं। इनमें कुछ लोग ही आनंद भवन, स्वराज भवन जाते हैं, शेष पर्यटक स्थल पर्यटकों से अछूते ही रहते हैं। संगम से इतर इलाहाबाद की छवि बनाने के लिए यह दूरी तोड़ने की पहल अगले साल होने वाले महाकुंभ मेले के माध्यम से हुई है। महाकुंभ में श्रद्धालु के रूप में प्रयाग आने वालों को इस बार न सिर्फ संगम में पुण्य की डुबकी लगाने का मौका मिलेगा, बल्कि वे देवनगरी के अन्य सांस्कृतिक, ऐतिहासिक, धार्मिक स्थलों और ऐसी विरासत से भी रूबरू होंगे, जिनसे अभी तक पर्यटक अछूते ही रहते थे। महाकुंभ के आयोजन के जरिए प्रशासन की कोशिश है कि पर्यटक केवल संगम तक सीमित न रहें, बल्कि वे संपूर्ण प्रयाग का दर्शन करें। पर्यटन विभाग अपनी इन्हीं कोशिशों को सफल बनाने में जुटा है। विभाग की मंशा है कि देश के पहले प्रधानमंत्री पं. जवाहर लाल नेहरू की विरासत, अंग्रेजों से लोहा लेने वाले चंद्रशेखर आजाद की बलिदान स्थली कंपनी बाग, मुगल सम्राट अकबर का ऐतिहासिक किला व खुसरोबाग का मकबरा, पूरब का ऑक्सफोर्ड इलाहाबाद विश्वविद्यालय सहित दर्जनों स्थल विश्व पर्यटन के नक्शे पर स्थापित हों। इन आशाओं के साथ ही अंतरराष्ट्रीय हवाई सेवा, स्तरीय होटल व अन्य पर्यटक सुविधाएं जैसी कई चुनौतियां भी हैं, जिन्हें दूर किए जाने की जरूरत है। माना जा रहा है कि यहां आने वाले प्रत्येक सैलानी को धार्मिक नगरी रमणीक, सौंदर्य और आध्यात्मिक शांति का एहसास कराएगी, बल्कि उन्हें ऐसी यादें भी देगी, जिन्हें भुला पाना आसान नहीं होगा। लिहाजा फिर यहां साल दर साल और निरंतर पर्यटकों की संख्या में इजाफा होगा और यहां के बाशिंदों के लिए रोजगार के अवसर खुल सकेंगे।

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