जेठ का योग, भगवान का बदला भोग
ज्येष्ठ की तपती दुपहरिया में इंसान ही नहीं शायद भगवान भी बेचैन हो उठे हैं। ऐसे में मंदिरों में उन्होंने अपनेभोग का मैन्यू बदलवा लिया है। उनकी खिदमत में शीतल पेय पदार्थ और फल पेश किए जा रहे हैं।
आगरा। ज्येष्ठ की तपती दुपहरिया में इंसान ही नहीं शायद भगवान भी बेचैन हो उठे हैं। ऐसे में मंदिरों में उन्होंने अपनेभोग का मैन्यू बदलवा लिया है। उनकी खिदमत में शीतल पेय पदार्थ और फल पेश किए जा रहे हैं। ठंडी रबड़ी खा रहे हैं। भगवान शंभू तो अपनी खास पसंद ठंडाई का लुत्फ उठा रहे हैं। यही नहीं खस और चंदन की सुंगध से उनके धाम सुगंधित हो रहे हैं। नगर में श्याम जी का प्रमुख मंदिर काजीपाड़ा में है। यहां इन दिनों राधा कृष्ण को फलों के रसों का भोग लगाया जा रहा है। दूध-दही की लस्सी भी कभी-कभी स्वाद बदलने को भगवान को पेश की जाती हैं। रावतपाड़ा स्थित मनकामेश्वर मंदिर में बाबा भोले को भरी गर्मी में शीतलता मिले, इसके लिए खास प्रयास किये जा रहे हैं। महंत योगेशपुरी के अनुसार परंपरा के अनुसार प्राचीन शिवलिंग के ऊपर गंगाजल की धारा तो है ही, इसके अलावा खस और चंदन के इत्र की सेवा हो रही है। शिकंजी, शर्बत का भी भोग लगाया जाता है। यही नहीं जग को ठंडा करने वाली ठंडाई तो भोले को पसंद है ही। इसके अलावा भी पिछले दिनों नरसिंह चौदस पर खरबूज का आनंद भोले शंकर के परिवार ने लिया था। भगवान को पेश किए जाने वाली भोग सामग्री में गर्म मसाला और हल्दी की मात्रा नगण्य कर दी है। जग के नाथ श्रीनाथजी ने भी अपना गर्मी में खान-पान बदल लिया है। उन्हें ठंडे रखने वाले विविध व्यंजन प्रतिदिन परोसे जाते हैं। इन दिनों पेठा विशेष रूप से खिलाया जा रहा है। नीबू की शिंकजी का भोग लगा कर भक्तों को वितरित की जाती है। तिरुपति बालाजी मंदिर, सदर बाजार में भगवान को ठंडी रबड़ी पसंद आ रही है। इसके अलावा ठंडे शर्बत, आम, खरबूज, तरबूज का भोग भी लगाया जा रहा है।
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