महाबोधि मंदिर में शुरू हुआ त्रिपिटक सूत्त पाठ
आठवां अंतरराष्ट्रीय त्रिपिटक सूत्त पाठ सोमवार से पारंपरिक तरीके से आरंभ हुआ। पाठ के शुरू होने के पूर्व पुन: दस देशों के बौद्ध भिक्षु कालचक्र मैदान पर एकत्रित हुए और वहां से धर्मग्रंथ को लेकर महाबोधि मंदिर की ओर कूच किए। मंदिर परिसर स्थित पवित्र बोधिवृक्ष की छांव में बने छोटे-छोटे पंडाल में अलग-अलग देशों के बौद्ध भिक्षु बैठे और उसके बाद सूत्त पाठ का शुभारंभ किया।
बोधगया [गया]। आठवां अंतरराष्ट्रीय त्रिपिटक सूत्त पाठ सोमवार से पारंपरिक तरीके से आरंभ हुआ। पाठ के शुरू होने के पूर्व पुन: दस देशों के बौद्ध भिक्षु कालचक्र मैदान पर एकत्रित हुए और वहां से धर्मग्रंथ को लेकर महाबोधि मंदिर की ओर कूच किए। मंदिर परिसर स्थित पवित्र बोधिवृक्ष की छांव में बने छोटे-छोटे पंडाल में अलग-अलग देशों के बौद्ध भिक्षु बैठे और उसके बाद सूत्त पाठ का शुभारंभ किया। बोधिवृक्ष के इर्द-गिर्द दस भाषाओं में धर्म चक्र प्रवर्तन के सूत्त गुंजायमान हैं। सूत्त पाठ अलग-अलग देशों के बौद्ध भिक्षु लयबद्ध तरीके से करते हैं। सूत्त पाठ भोजन के पूर्व दो सत्र और भोजन के बाद दो सत्र में संचालित है। पाठ करने वाले बौद्ध भिक्षुओं की सेवा में विभिन्न देशों के कार्यकर्ता भी तन्मयता से लगे हैं। आयोजन समिति की ओर से सोमवार से प्रतिदिन संध्या बेला में पवित्र बोधिवृक्ष की छांव में धर्म प्रवचन आयोजित है। जिसमें विभिन्न देशों के संघनायक प्रतिदिन अपने प्रवचन से अनुयायियों को लाभान्वित करेंगे। साथ ही पूरी रात ध्यान-साधना का विशेष सत्र भी दस दिनों तक संचालित होगा। ध्यान-साधना के इच्छुक साधक को आयोजन समिति से अनुमति प्राप्त कर कार्ड बनाना पड़ेगा। सूत्त पाठ समापन के पश्चात 13 दिसम्बर की अल सुबह पाठ में शामिल सभी 15 सौ बौद्ध भिक्षु राजगीर के लिए प्रस्थान करेंगे। जहां वेणुवन में छह सौ बांस के पौधे भिक्षुओं द्वारा लगाया जाएगा। छह सौ बांस के पौधे लाइट आफ बुद्धा धम्मा फाउंडेशन इंटरनेशनल द्वारा प्रदान किया जाएगा।
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